शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे का निधन
१७ नवम्बर २०१२उनका इलाज कर रहे डॉक्टर जलील पारकर ने बताया कि दोपहर साढ़े तीन बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्होंने दम तोड़ दिया.
कोई आधे दशक पहले बाल ठाकरे ने 1966 में शिव सेना पार्टी बनाई, जिसका उद्देश्य धार्मिक और प्रांतीय राजनीति करना तथा प्रवासियों का विरोध करना था. वह कट्टर हिन्दूवादी नेता थे और खुल कर अपनी विचारधारा लोगों के बीच रखते थे.
शोक संदेशों का तांता
शिव सेना की राजनीतिक साझीदार बीजेपी ने इस खबर के बाद दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास पर होने वाले रात्रि भोज में नहीं जाने का फैसला किया है. पार्टी प्रमुख नितिन गडकरी ने कहा, "हिन्दुत्व का विचार उनकी हुंकार थी. वह हमेशा मराठी लोगों के लिए संघर्ष करते रहते. बीजेपी और शिव सेना दोनों परिवारों के लिए यह बहुत बड़ा झटका है. उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणा है."
कार्टूनिस्ट के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले बाल ठाकरे ने अचानक प्रवासियों के खिलाफ राजनीति करने का फैसला किया. उन्होंने लगभग 50 साल तक यह राजनीति की. मुंबई तथा महाराष्ट्र का मध्यम वर्ग उन्हें बहुत पसंद करता था.
उनकी मौत के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई लोगों ने शोक संदेश दिया है. सिंह ने कहा कि बाल ठाकरे के लिए महाराष्ट्र का हित हमेशा से सर्वोपरि था और दुख की इस घड़ी में ठाकरे परिवार और दूसरों को भी संयम बरतना चाहिए.
कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने इस मौके पर शोक संदेश देते हुए कहा, "बालासाहेब ठाकरे ने लंबे समय तक महाराष्ट्र की राजनीति की और हमें उनके निधन का बहुत अफसोस है."
कट्टरवादिता को बढ़ावा
पाकिस्तान विरोधी विचारधारा और हिन्दू कट्टवाद के लिए बाल ठाकरे को हमेशा याद किया जाएगा. साथ ही मुंबई को लेकर उनकी मांग रहती थी कि यहां पहला अधिकार मुंबईकर यानी मुंबई के लोगों का होना चाहिए. उन्होंने हाल ही में शिव सेना के मुखपत्र सामना में लिखा था, "सिर्फ मराठियों को मुंबई में पहला अधिकार है."
उनके उद्भव की वजह से धर्मनिरपेक्ष भारत की पहचान भी थोड़ी बदली. मुंबई में करीब दो करोड़ लोग रहते हैं और इसे भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है. यह भारत के सबसे अहम शहरों में है. हमेशा बड़ी कांच वाले धूप के चश्मे में दिखने वाले बाल ठाकरे कमरे के अंदर भी यह चश्मा लगाते थे. उनके गले में रुद्राक्ष की माला दिखती थी और उनके पीछे कार्यकर्ताओं की एक लंबी चौड़ी फौज थी. बाल ठाकरे की एक अपील पर ये कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन और जबरन बंद कराने के लिए तैयार रहते.
पाकिस्तान के खिलाफ
बाल ठाकरे ने कई बार भारत के मुसलमानों को राष्ट्रविरोधी बताया था. उन्होंने यहां तक कहा था कि मुस्लिम आतंकवाद के बढ़ने के बाद हिन्दुओं को भी आत्मघाती दस्ता बनाना चाहिए. वह पाकिस्तान के कट्टर विरोधी रहे और उसके साथ क्रिकेट खेलने तक को सही नहीं मानते थे.
उन्होंने मुंबई के 26/11 वाले आतंकवादी हमले से पहले लिखा था, "पाकिस्तान के साथ बातचीत करना एक छलावा है, जो हमारे यहां विस्फोट करता है. उनके साथ क्रिकेट खेलना देशद्रोह है." हालांकि उन्होंने ही बाद में पाकिस्तानी खिलाड़ी जावेद मियांदाद को अपने घर पर बुलाया और साथ में खाना भी खाया.
मुंबई में 1992 और 1993 में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इसकी सरकारी जांच रिपोर्ट में कहा गया, "इस बात में शक नहीं है कि मुसलमानों पर हुए हमलों और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के पीछे शिव सैनिकों का सबसे ज्यादा हाथ रहा है और इस काम में शिव सेना के नेताओं ने मार्गदर्शन किया." हालांकि ठाकरे को कभी भी दंगों का दोषी नहीं बताया गया, जिसमें 600 लोगों की जान गई थी.
हालांकि कई राजनीतिक पार्टियां बाल ठाकरे का विरोध करती थीं लेकिन महाराष्ट्र में उनकी पार्टी चौथी सबसे बड़ी पार्टी थी और कई होर्डिंग पर उनकी तस्वीरें दिख जाती थीं.
रविवार को सुबह सात बजे उनका पार्थिव शरीर शिवाजी पार्क में रखा जाएगा, जहां लोग उनके आखिरी दर्शन कर सकेंगे. इसके बाद रविवार को ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
एजेए/एएम (एपी, रॉयटर्स)