बाबरी कांड में आडवाणी को थोड़ी राहत
२१ मई २०१०कोर्ट के इस फ़ैसले से बीजेपी नेताओं को राहत मिली है. इस मामले में इन सभी आरोपियों को विवादित ढांचा संबंधी मुकदमे की कार्यवाही से मुक्त कर दिया गया था. हाइकोर्ट ने कहा कि इन 21 लोगों के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही समाप्त करने संबंधी निचली अदालत का चार मई 2001 का आदेश सर्वथा उचित है.
यह फ़ैसला न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिंह ने सुनाया. उन्होंने सीबीआई की पुनरीक्षण याचिका व इसी मामले को लेकर एक अन्य याचिका खारिज कर दी. अपने 44 पेज वाले फ़ैसले में न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, "निचली अदालत के किसी निष्कर्ष के मामले में सत्यता, वैधानिकता, औचित्य और नियमितता के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं पाया गया."
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में रायबरेली के स्पेशल कोर्ट में आपराधिक मुक़दमे चल रहे है. निचले कोर्ट का कहना था की एक ही घटना के लिए दो स्थानों पर मुक़दमा चलने का कोई औचित्य नहीं है. इस आधार पर लखनऊ वाले मुक़दमे को ख़ारिज कर दिया गया था.
सीबीआई ने मई 2001 में दिए गए इस आदेश को चुनौती देते हुए आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, बाल ठाकरे, उमा भारती, विनय कटियार और अशोक सिंघल सहित 21 लोगों के खिलाफ विवादित ढांचा विध्वंस मामले में मुकदमे की कार्यवाही फिर शुरू किए जाने का अनुरोध किया था.
इस तरह अदालत ने आडवाणी सहित बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर से बाबरी मस्जिद गिराने की साजिश में शामिल होने के आपराधिक आरोप खारिज कर दिए. लेकिन उन पर छह दिसंबर, उनीस सौ बानबे को अयोध्या में मौके पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप अभी भी हैं जिसके बाद बाबरी मस्जिद गिरा दी गई.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: राम यादव