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समाज

बाढ़ के बाद केरल में अब क्या?

२८ अगस्त २०१८

केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए कई हाथ उठे हैं. लेकिन अब भी लोगों के लिए एक सामान्य जिंदगी शुरू करना आसान नहीं. नए हालातों में आम लोगों के सामने खुद को ढालने की चुनौती हर दिन बड़ी हो रही है.

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Überschwemmungen in Kerala, Indien
तस्वीर: Reuters/Sivaram V

केरल में बाढ़ का पानी अब उतरने लगा है. बैकवॉटर के इलाके में जानवरों के शव पानी पर अब भी तैर रहे हैं. केरल के लैगून और यहां के तट अब तक राज्य टूरिज्म इंडस्ट्री की जान हुआ करते थे. लेकिन इस साल बाढ़ से हुई तबाही ने यहां की सूरत ही बदल दी है. बैकवॉटर के किनारे बसे कई कस्बे और गांवों का नामोंनिशान ही मिट चुका है. पूरे के पूरे समुदाय कहीं खो गए हैं. निचले इलाकों में बने घर और सड़कें अब भी पानी में डूबे हुए हैं.

अलप्पुझा में 64 वर्षीय हाउसबोट मालिक टी सुदर्शन को इस साल टूरिस्ट सीजन से काफी उम्मीदें थीं. लेकिन भारी बारिश ने न सिर्फ उनकी उम्मीदों को खाक कर दिया, बल्कि आठ फीट तक भरा पानी उनका घर भी ले डूबा. उनके परिवार को अब हाउसबोट पर रहना पड़ रहा है. अगर आज सब कुछ सामान्य होता, तो सुदर्शन अपनी हाउसबोट को यूरोप, चीन, मलेशिया और भारत के अन्य राज्यों से आए टूरिस्टों को किराए पर दे देते.

Indien Überschwemmungen in Kerala
तस्वीर: Getty Images/AFP

दो बच्चों के पिता सुदर्शन को कई बातें परेशान कर रहीं हैं. रात-दिन उन्हें बैंक से लिए कर्जे को चुकाने का डर भी सता रहा है. उन्होंने कहा, "मेरे पास इस हाउसबोट को छोड़कर कुछ भी नहीं बचा है. मुझे समझ ही नहीं आ रहा है कि मैं बैंक कर्ज की अदायगी कैसे करूंगा."

अलप्पुझा के इलाके में करीब 1500 हाउसबोट हैं. सुदर्शन की ही तरह कई हाउसबोट मालिक ने बैंक से कर्ज लेकर इन्हें खड़ा किया लेकिन अब धंधा चौपट हो गया है. सुदर्शन ने आठ साल पहले बैंक से हाउसबोट के लिए तकरीबन 6 लाख का कर्ज लिया था. उन्हें उम्मीद थी इस साल दिसंबर तक वह करीब 5 लाख रुपये कमा लेंगे. लेकिन मौसमी मार ने सब बर्बाद कर दिया. बाढ़ के चलते कई सैकड़ों लोग मारे गए, तो करीब दस लाख लोग बेघर हो गए. कई लोग आज राहत शिविरों में आश्रय लिए हुए हैं.

प्राकृतिक खूबसूरती, उपजाऊ जमीन और समुद्र तटों से लैस केरल को "गॉड्स ओन लैंड" भी कहा जाता था. अब राज्य सरकार मान रही है कि सब कुछ फिर से खड़ा करने में अगले दो सालों में उसे 3.57 अरब डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी.

Überschwemmungen in Kerala, Indien
तस्वीर: Reuters/Sivaram V

राज्य के वित्त मंत्री टीएम थॉमस आइजक के मुताबिक, "राज्य की जीडीपी में दो फीसदी की गिरावट आ सकती है." फसलें बर्बाद हो गईं हैं, निर्माण कार्य ठप्प पड़ गए हैं. राज्य की अर्थव्यवस्था में 10 फीसदी का योगदान देने वाला पर्यटन उद्योग इससे सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.

पिछले साल केरल में करीब दस लाख विदेशी पर्यटक आए थे. साथ ही करीब 1.5 करोड़ घरेलू पर्यटकों ने भी केरल की यात्रा की थी. अधिकारियों के मुताबिक पर्यटन उद्योग को तकरीब 35.7 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है.

बहरहाल, केरल पर आई इस आपदा से निपटने के लिए कई हाथ उठे हैं. कई हजार वॉलिंटियर राहत कार्यों में मदद कर रहे हैं. राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ा दखल रखने वाला एर्नाकुलम को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है. इसके भीतर आने वाला कोच्चि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी तकरीबन दो हफ्तों तक बंद रहा. वहीं चाय और इलायची के लिए मशहूर मन्नार का इलाका पुल टूटने के चलते अलग-थलग पड़ गया.

नीलकुरुंजी के फूल को दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट की खास पहचान माना जाता है. मन्नार के इलाके में यह बिखरा दिखता है. इसी वजह से राज्य टूरिज्म ने साल 2018 को कुरुंजी साल के रूप में पेश किया था. लेकिन अब शायद ही केरल के लोग इस साल को फूल के लिए याद करेंगे, उनके जेहन से यह बाढ़ और परेशानी इतनी जल्दी नहीं खत्म होने वाली. 

एए/आईबी (रॉयटर्स)