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बांग्लादेश लौटना चाहती हैं शेख़ हसीना

१९ अप्रैल २००७

शेख़ हसीना बांग्लादेश लौट कर अपने मुक़दमों का सामना करना चाहती हैं। लेकिन अंतरिम सरकार ने उनके देश लौटने पर रोक लगा दी है। शेख़ हसीना से डॉयचे वेले की ख़ास बातचीत।

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डॉयचे वेले से शेख़ हसीना की ख़ास बातचीत
डॉयचे वेले से शेख़ हसीना की ख़ास बातचीततस्वीर: AP

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की अध्यक्ष शेख़ हसीना ने कहा है कि वो हर हाल में देश लौटना चाहती हैं। शेख़ हसीना ने डॉयचे वेले से एक ख़ास बातचीत में कहा कि वो अपने देश लौट कर हर आरोपों से मुक़ाबला करना चाहती हैं लेकिन मौजूदा प्रशासन उनको इसकी इजाज़त नहीं दे रहा। उन्होंने कहा, "मैं देश लौटना चाहती हूं। अपना मुक़दमा लड़ना चाहती हूं। लेकिन वो नहीं चाहते हैं कि मैं देश लौटूं। ये कैसी बात है।"

डॉयचे वेले से बात

शेख़ हसीना इन दिनों बांग्लादेश से दूर अमेरिका में हैं और उन्होंने वहीं से ये इंटरव्यू डॉयचे वेले के बांग्ला कार्यक्रम के पत्रकार मसक़ावत एहसान को दिया। बांग्लादेश सरकार ने उनके देश लौटने पर पाबंदी लगा दी है। उन्होंने कहा कि वो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी अपने साथ लेकर चलने की कोशिश कर रही हैं।

निशाने पर ख़ालिदा

इस मौक़े पर भी वो अपनी धुर विरोधी ख़ालिदा ज़िया को निशाने पर लेने से नहीं चूकीं और कहा कि ख़ालिदा की बांग्लादेश नेशलिस्ट पार्टी के लोग हिंसा में शामिल हैं। शेख़ हसीना पर आर्थिक अपराध के मामले तो चल ही रहे थे और कुछ दिनों पहले उन पर हत्या का आरोप भी लगाया गया।

आरोपों से इनकार

शेख़ हसीना ने इन आरोपों को इनकार करते हुए कहा, "ये फ़र्ज़ी मामला है। क्या मैं किसी की हत्या कर सकती हैं।"

बांग्लादेश में इस साल के जनवरी में चुनाव होने थे। लेकिन राजनीतिक प्रदर्शनों को देखते हुए इसे टाल दिया गया है और अंतरिम सरकार ने एलान किया है कि साल 2008 तक यहां चुनाव मुमकिन नहीं। इस बीच बांग्लादेश की एक और पूर्व प्रधानमंत्री ख़ालिदा ज़िया देश छोड़ कर जाने के लिए राज़ी हो गई बताई जाती हैं।

पाकिस्तान के रास्ते पर बांग्लादेश

डॉयचे वेले ने जब शेख़ हसीना से पूछा कि क्या उनका देश भी पाकिस्तान के तर्ज़ पर ही आगे बढ़ रहा है, जहां दो प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और बेनज़ीर भुट्टो देश से बाहर निर्वासित जीवन बिता रहे हैं, तो उन्होंने कहा, "पाकिस्तान और बांग्लादेश के हालात बिलकुल अलग हैं। लेकिन शायद वो पाकिस्तान के तरह काम करना चाहते हैं। मेरा सवाल है कि क्या बांग्लादेश में लोकतंत्र नहीं लौटेगा। हमने लोकतंत्र के लिए लड़ाई की है लेकिन लोकतंत्र कहां है।"

लेकिन सच तो ये है कि बांग्लादेश में शेख़ हसीना और ख़ालिदा ज़िया दोनों की ही हालत ख़राब होती जा रही है। ऐसे में अगर जल्द चुनाव न हुए तो कोई आश्चर्य नहीं कि इनका हाल भी नवाज़ शरीफ़ और बेनज़ीर भुट्टो की तरह हो।