बर्फ के फाहे का जीवन
बर्फ से ढके पेड़ या पहाड़ ही नहीं खुद एक बर्फ की हर एक पर्त अपने आप में बहुत खूबसूरत होती है.
बर्फ की चादर से ढकी ये जादुई दुनिया
यह दूर से ही नहीं, पास से भी उतनी ही सुंदर है. ताजा गिरी करारी बर्फ पर आपके जूतों वाले भारी कदमों की आवाज से दूर तक पसरा सन्नाटा टूटता है.
ठोस पानी
बर्फ और कुछ नहीं केवल जमा हुआ पानी ही तो है. जब पानी की बूंदें वातावरण की ऊपरी ठंडी सतहों में धूल या धुएं से चिपक कर जम जाती हैं तो बर्फ के फाहों का रूप ले लेती हैं. इसके लिए तापमान माइनस 4 से माइनस 20 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए.
षट्भुज से शुरु
जब एक बर्फ का फाहा बनना शुरू होता है तो वह समतल और षट्भुजाकार होता है, जिसका व्यास 0.1 मिलीमीटर के आसपास होता है. ऐसा षट्भुज आकार इसे पानी में मौजूद अणुओं के हाइड्रोजन बॉन्ड्स के कारण मिलता है.
क्रिस्टल से फाहा
जैसे जैसे ज्यादा पानी षट्भुजाकार क्रिस्टलों के रूप में जमने लगता है, इनसे डेंड्राइट नामकी शाखाएं निकलने लगती हैं. इन्हीं शाखाओं के कारण स्नोफ्लेक को उसका तारे जैसा आकार मिलता है.
कई तरह की होती है बर्फ
किसी स्नोफ्लेक को बादलों से धरती की सतह तक पहुंचने में करीब एक घंटा लग जाता है. अगर वातावरण में अधिक आद्रता और तापमान माइनस 5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो तो बर्फ के टुकड़े बड़े होने लगते हैं. वहीं धरती के ध्रुवों पर पाए जाने वाले बहुत कम तापमान और सूखे वातावरण में स्नोफ्लेक सुई जैसे पतले और चपटे होते हैं.
स्नोमैन या स्कीईंग?
बर्फ के टुकड़े जितने नम और बड़े होंगे उतनी आसानी से आप उनसे खेल सकेंगें या स्नोमैन बना सकेंगे. ये जितने ही छोटे और पाउडर जैसे होंगे, उतना ही उन पर स्कींईंग करना आसान होगा.
'पिछले साल की'
जब बर्फ काफी लंबे समय तक एक जगह इकट्ठी होती रहे और जम कर ठोस हो जाए, तो ग्लेशियरों का रूप ले लेती है. वहीं जो बर्फ पिघल कर फिर जमती है, वह दानेदार होती है. इसे 'फिर्न' कहते हैं और यह मूल रूप से जर्मन भाषा का शब्द है. नीले या हरे से रंग की छटा लिए इस 'फिर्न' का अर्थ हुआ 'पिछले साल की' बर्फ.
इतनी सफेद कैसे?
सफेद रंग की दिखने वाली बर्फ असल में रंगहीन होती है. पानी से बनने वाली बर्फ के क्रिस्टल प्रकाश के साथ शीशों के जैसा व्यवहार करते हैं. यह क्रिस्टल एक साथ प्रकाश की कई तरह की किरणें परावर्तित करते हैं और ये सब मिलकर आंखों को सफेद रंग के दिखते हैं.
अनोखा है हर टुकड़ा
बर्फ चाहे कहीं से भी आई हो, इसकी खूबसूरती और अलग थलग व्यक्तित्व हमेशा हमें प्रभावित करता रहेगा. बर्फ की पिघल कर वापस पानी में बदल जाने की खूबी हमें क्षणभंगुरता का संदेश दे जाती है.