बढ़ते समंदर की डूब में घिरता सेनेगल का ऐतिहासिक शहर
अफ्रीका में समुद्र का जलस्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा खतरे में घिरा है, सेनेगल का खूबसूरत तटीय शहर, सेंट लुई. वास्तुकला की समृद्ध विरासत और पारंपरिक तटीय जिंदगियां, ऊंची उठती लहरों में गुम होती जा रही हैं.
पानी के मुहाने पर एक शहर
ये है सेंट लुई का बंदरगाह. 17वीं सदी में ये शहर बना था. सामरिक लिहाज से इसकी लोकेशन खास रही है. ये सेनेगल नदी का मुहाना है और 1902 तक फ्रांस शासित पश्चिम अफ्रीका की राजधानी भी रहा है. लेकिन इन दिनों महासागर से उसकी करीबी ही बड़ा खतरा बन गई है. संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि किसी भी दूसरे अफ्रीकी शहर के मुकाबले, सेंट लुई पर समंदर के बढ़ते जलस्तर का खतरा सबसे ज्यादा मंडरा रहा है.
बह गई एक विश्व धरोहर
स्कूली अध्यापक मोहमदाओ मूसा गाये की नजरें, सेंट लुई के एक हिस्से और यूनेस्को की विरासत में शामिल, गुएट नडार की ओर लगी हैं. गुएट नडार के तहत, लांगे डि बारबारी नाम का एक लंबा प्रायद्वीप आता है जो सेनेगल नदी के दहाने को महासागर से अलग करता है. जिस स्कूल में गाये पढ़ाते थे, वो और प्रायद्वीप की मस्जिदें और घर, तटीय कटाव में पहले ही बह चुके हैं.
खंडहर में तब्दील स्कूल
कुदरत के सामने कैसी धरोहर, क्या बिसात. वो ये सब नहीं जानती. यहां तो सबसे बुनियादी सार्वजनिक सुविधाओं को भी महासागर का पानी लील सकता है. स्कूल की बर्बाद इमारत में जो बच्चे पढ़ने आते थे उन्हें शहर के तीन अन्य स्कूलों में भेज दिया गया है. लेकिन पढ़ाई खत्म होते वे यहीं दौड़े चले आते हैं, अपनी पुरानी कक्षाओं के खंडहरों में खेलने.
घरों को निगलता तटीय धंसाव
2003 में अधिकारियों ने लांगे डि बारबारी से होते हुए एक नहर भी खुदवाई जिससे सेनेगल नदी में बाढ़ आने पर, पानी नदी के दहाने से बाहर निकल जाए और सेंट लुई से दूर रहे. लेकिन शहर को बचाने का उनका दांव उलटा पड़ा. पानी दोनों तरफ से आने लगा. नहरों के किनारे कटने और धंसने लगे और एक बड़ी खाड़ी सी बन गई. जिसमें गुएट नडार तट का 800 मीटर हिस्सा डूब गया और उसके साथ पड़ोसी गांव भी.
गायब हो गया एक गांव
अहमद सेने डायग्ने ऐसे ही एक गांव में रहते थे. आज जब वो अपने बेटे के साथ एक बड़ी नाव “पिरोग” में बैठकर सेंट लुई के तटों के पास से गुजरते हैं तो याद करते हैं कि कैसे उन्होंने शहर प्रशासन को नहर खोदने से आगाह किया था लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी. डायग्ने कहते हैं, “उन्हें मुझ पर यकीन ही नहीं हुआ. मुझसे मेरी डिग्री-डिप्लोमा मांगने लगे. मेरे पास तो वो सब है नहीं. मैं तो जंगल में रहता हूं.”
मछली पकड़ना भी दूभर
डायग्ने के गांव में अब सिर्फ एक पेड़ का ठूंठ ही नजर आता है जो कभी सेंट्रल चौक पर हुआ करता था. उसी पेड़ के नीचे डायग्ने का ब्याह हुआ था. जातीय समूह लेबु से उनका परिवार आता है जो पीढ़ियों से मछली पकड़ता रहा है. अब उनके तटीय समुदाय नष्ट हो चुके हैं और डायग्ने कहते हैं कि मछली पकड़ने में अब कोई भविष्य नहीं रह गया है. उन्हें उम्मीद है कि अच्छी शिक्षा से उनके बेटों को और विकल्प हासिल होंगे.
उपनिवेशी दौर की समुद्री दीवार
सेंट लुई के डिप्टी मेयर लातीर फॉल एक पुराने बंद पर खड़े हैं. कभी ये दीवार शहर की हिफाजत करती थी. वो बताते हैं, “ये दीवार फ्रांसीसी उपनिवेशकों ने बनाई थी 1930 में.” लेकिन वो इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट हैं कि सेंट लुई पर मंडराता खतरा जलवायु परिवर्तन से है. और उपनिवेशी दौर से समंदर के जलस्तर में हो रही बढ़ोत्तरी, तट की हिफाजत के नये उपायों की मांग करती है. “अब ये दीवार मददगार नहीं रही.”
एक नये बांध का निर्माण
गुएट नडार के तट को तबाही से बचाने के लिए सेनेगल सरकार एक नया तटबंध बना रही है. जो तीन किलोमीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा होगा. लेकिन इस विशालकाय ढांचे और नयी निर्माण परियोजना को जगह देने के लिए, खतरे की जद वाली तटरेखा पर स्थित बाकी बचे मकानों को ढहाना होगा.
समंदर से दूर विस्थापित जिंदगियां
विश्व बैंक और फ्रांस से हासिल फंड की मदद से उन लोगों के लिए शेल्टर बनाए गए हैं जिनके घर पहले ही डूब चुके हैं और नए पुश्ते बनाने के लिए जिन्हें विस्थापित किया गया है. दस किलोमीटर भीतर डियोगोप में विस्थापित निवासी, शेल्टरों की बदहाली की शिकायत करते हैं कि वे दिन में तपते हैं और रात में ठंडे हो जाते हैं, टॉयलेट भी कम हैं.
पानी के असली वारिस
अहमद सेने डायग्ने अब जेल मबाम नाम की बस्ती में रहते हैं. अपनी चीजें उगाते हैं और बेचते हैं. उनके घर की दीवार पर एक नक्शा टंगा है जिसमें उनका गांव भी दिखता है जो अब डूब चुका है. तट को बचाने की अधिकारियों की कोशिशों या दावों पर उन्हें अब भी भरोसा नहीं है. वो कहते हैं, “उन्हें यहां के लोगों को अपनी योजनाओं में शामिल करना चाहिए क्योंकि हम ही तो हैं, जो यहां रहते हैं, जो इसी पानी में पैदा हुए थे.”