बगदाद हमले में मरने वालों की संख्या 200 के पार
४ जुलाई २०१६पहले इस्तांबुल के हवाई अड्डे पर, फिर ढाका के एक रेस्तरां में और उसके बाद बगदाद के बाजार में आतंकी हमले हुए. ये सभी दुनिया के अलग अलग कोनों में जरूर हैं लेकिन इन तीनों में एक आम बात है. सभी हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है. हालांकि बांग्लादेश ने ढाका हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ होने की बात को खारिज कर दिया है. लेकिन सभी हमले रमजान के महीने में किए गए और सभी में ज्यादातर जानें मुसलमानों की ही गईं.
रविवार को बगदाद के भीड़भाड़ वाले इलाके में एक ट्रक की मदद से आत्मघाती हमला हुआ. इस हमले में 213 लोगों की जान गई है और कम से कम 200 घायल हुए हैं. इसके बाद इराक में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने कहा है कि गुनहगारों को हर हालत में सजा दी जाएगी. हालांकि इस हमले के बाद से अल अबादी सरकार की भी निंदा हो रही है.
देशवासियों में सुरक्षा इंतजामों को ले कर गुस्सा देखा जा सकता है. इंटरनेट में फैले एक वीडियो में कुछ लोगों को प्रधानमंत्री के काफिले पर पथराव करते देखा जा सकता है. एक अन्य वीडियो में एक व्यक्ति को अबादी को कोसते हुए भी सुना जा सकता है. इसके बाद अबादी ने अपने बयान में कहा, "मैं लोगों की भावनाओं को और गुस्से और दुख की घड़ी में उन्होंने जो किया, उसे समझता हूं." पर साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दिन भर में हजारों गाड़ियां शहर से गुजरती हैं, ऐसे में इस तरह के हमलों को रोक पाना मुश्किल काम है.
सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि मारे गए लोगों की शिनाख्त करने में कई दिन लग सकते हैं. विस्फोट इतना जोरदार था कि आसपास की सभी इमारतों में इसका असर देखा गया. 24 वर्षीय एक सिपाही हुसैन अली ने बताया कि उसके परिवार की दुकान में काम करने वाले छह लोग मारे गए.
अली का कहना है कि सभी की लाशें इतनी बुरी तरह झुलस चुकी थीं कि उन्हें पहचानना भी मुश्किल था. समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए उसने कहा, "मैं जब युद्ध के मैदान में लौटूंगा, तो वहां मुझे पता तो होगा कि दुश्मन कौन है, मैं उससे लड़ सकूंगा. लेकिन यहां मैं जानता ही नहीं हूं कि मुझे लड़ना किससे है."
इससे पहले मई के महीने में बगदाद में कई आतंकी हमले हुए थे जिनमें 150 लोगों की जान गई. आईएस ने इस बार हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा है कि उसके निशाने पर शिया आबादी थी. इराक में जगह जगह बम डिटेक्टर लगे हुए हैं लेकिन कुछ वक्त पहले इनके खराब होने को ले कर भी देश में बवाल मचा.
जिस व्यक्ति ने इराक को ये मशीनें बेची थीं, उसे धोखाधड़ी के इलजाम में ब्रिटेन में जेल की सजा दी गई. प्रधानमंत्री ने अब सुरक्षा इंतजामों को कड़ा करते हुए मशीनों को बदलने की भी बात कही है और शहर में आने वालों और वहां से निकलने वालों पर नजर रखने के बारे में भी कहा है.
पिछले हफ्ते ही इराकी सेना ने फलूजा को इस्लामिक स्टेट के कब्जे से छुड़वाया था. अब मोसुल एकमात्र ऐसा इराकी शहर है जिस पर जिहादियों का कब्जा बना हुआ है.
आईबी/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)