'बंद हों बाटला हाउस जैसी मुठभेडें'
२९ जनवरी २००९इन प्रदर्शनकारियों की मांग है कि चार महीने पहले दिल्ली के बाटला हाउस में हुई मुठभेड़ और आतंकवादी गतिविधियों के सिलसिले में हो रही ''निर्दोष मुस्लिम युवाओं'' की गिरफ़्तारियों की न्यायिक जांच हो. उलेमा काउंसिल के नेता मौलाना आमिर रशद मदनी ने कहा, 'देश भर में हुए आतंकवादी हमलों के बाद मुस्लिम युवाओं को आतंकवादी बताकर झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है. आज़मगढ़ से ऐसे बहुत से युवाओं को गिरफ़्तार किया गया है.' आज़मगढ़ हाल के दिनों में सुरक्षा बलों की आतंकवादी मामलों की जांच का केंद्र रहा है.
दिल्ली के जामिया इलाक़े में हुई बाटला हाउस मुठभेड़ में दो लोग मारे गए थे जबकि दो अन्य गिरफ़्तार किए गए. पुलिस का कहना है कि ये चारों उग्रवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से संबंध रखते थे और वे कई शहरों में हुए धमाकों में शामिल थे, जबकि स्थानीय लोग पुलिस के दावों को ग़लत बताते हैं.
प्रदर्शनकारी ''उलेमा एक्सप्रेस'' से 700 किलोमीटर का सफ़र तय करके दिल्ली पहुंचे हैं. लगभग 500 प्रदर्शनकारियों ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से दिल्ली के जंतर मंतर तक मार्च किया. वहां और सैंकड़ो लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए और बाद उन्होंने वहां एक रैली की. मदनी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि बाटला हाउस जैसी फ़र्ज़ी मुठभेड़ें रूके. साथ ही पुलिस ने जिन मुस्लिम नौजवानों को गिरफ़्तार किया है उन्हें दो हफ़्ते के अंदर रिहा किया जाए. अगर फ़र्ज़ी मुठभेडें और झूठे मामलों में मुस्लिम युवाओं की गिरफ़्तारियां जारी रही तो हम अपना अभियान तेज़ करेंगे.'
नवंबर में मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार को 21 मुस्लिम युवाओं का शोषण करने के लिए अपने पुलिस अधिकारों पर क़ानूनी कार्रवाई करनी चाहिए. ये युवा उन 100 लोगों में शामिल थे जिन्हें 2007 में हैदराबाद में हुए धमाकों के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया था. इन धमाकों में 60 लोग मारे गए थे. राज्य सरकार ने सरकार ने 21 मुस्लिम युवाओं के शोषण की बात मानते हुए हर एक को 25-25 हज़ार रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की.