फ्रांस के राष्ट्रपति ने की 'जंगल' उजाड़ने की बात
२६ सितम्बर २०१६यूरोपीय संघ के शरणार्थी शिखर सम्मेलन के बाद राष्ट्रपति ओलांद ने काले शहर का दौरा किया जहां अवैध शरणार्थी कैंप है. उन्होंने कानून लागू करने वाले अधिकारियों और राहतकर्मियों के साथ अस्थायी कैंप के बारे में बात की जहां करीब 10,000 शरणार्थी अमानवीय हालात में रहते हैं. ओलांद ने कैंप को पूरी तरह बंद करने की बात कही और वहां रह रहे शरणार्थियों को देश भर में फैले रिसेप्शन सेंटर में बसाने का वायदा किया. इस साल के शुरू में अधिकारियों ने आधे कैंप को तोड़ दिया था.
राष्ट्रपति ने कहा है कि फ्रांस "शरण का आवेदन देने वाले लोगों को मानवीय और सम्मानजनक स्वागत उपलब्ध कराएगा." लेकिन ठुकराए गए शरणार्थियों को "देश के बाहर भेज दिया जाएगा. ये नियम हैं और उन्हें यह अच्छी तरह पता है." फ्रांस सरकार ने कहा है कि अनौपचारिक कैंप को सर्दियों से पहले ही बंद कर दिया जाएगा. लेकिन कैंप को तोड़ने की कोई तारीख नहीं बताई गई है. राष्ट्रपति का काले दौरा अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों से पहले समर्थन जुटाने की कवायद है.
पिछले महीनों में ओलांद की लोकप्रियता गिरी है और उन पर कंजरवेटिव पूर्व राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और आप्रवासन विरोधी नेता मारि ले पेन की ओर से युद्ध की विभाषिका झेल रहे मध्यपूर्व, एशिया और अफ्रीका के देशों से शरणार्थियों की आमद को रोकने का काफी दबाव है.
खत्म हो अनिश्चय
काले के शरणार्थी कैंप में ऐसे लोग रह रहे हैं जो फ्रांस में रहने के बजाए इंगलैंड जाना चाहते हैं. यह कैंप सरकार की निष्क्रियता और अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन के आरोपों के कारण ओलांद की शरणार्थी नीति पर धब्बे के सामान है. 2015 में मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने कैंप के बारे में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें आप्रवासियों ने पुलिस बर्बरता और यातना के सबूत दिए थे. एरिट्रिया की एक 25 वर्षीय महिला ने संगठन को बताया, "पुलिस ने ट्रक को चेक किया. मैंने कहा, प्लीज मदद कीजिए. लेकिन उन्होंने मुझे मारा और मैं ट्रक के सामने बेहोश हो गई. उन्होंने मुझे जमीन पर गिरा दिया."
ह्यूमन राइट्स वॉच की पश्चिमी यूरोपीय रिसर्चर इजा लेतास ने फ्रांसीसी अधिकारियों से अपील की है कि वे सिर्फ कानून की जिम्मेदारियों के हिसाब से न चलें बल्कि "काले के बहुत से शरणार्थियों की अनिश्चय की स्थिति खत्म करें." लेतास कहती हैं, "शरणार्थियों और आप्रवासियों को फ्रांस में पुलिस हिंसा का सामना करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए. और शरण का आवेदन करने वाले किसी भी इंसान को सड़क पर जीने के लिए नहीं छोड़ा जाना चाहिए. ओलांद ने 2016 में देश में 80,000 लोगों को शरण देने का आश्वासन दिया है. यह पिछले साल जर्मनी द्वारा लिए गए शऱणार्थियों का छोटा सा हिस्सा है. जर्मनी ने पिछले साल 10 लाख से ज्यादा शरणार्थियों को देश के अंदर आने दिया था.
एमजे/एके (रॉयटर्स, एएफपी)