फ्रांसीसी लेखक मोदियानो को साहित्य का नोबेल
९ अक्टूबर २०१४मोडियानो की पहली किताब 'ला प्लास द लितुआल' 1968 में प्रकाशित हुई और इस किताब का कोई अंग्रेजी अनुवाद नहीं किया गया है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में और फ्रांस के जर्मनी के कब्जे में होने के बाद यहूदी पहचान के बारे में उन्होंने काफी लिखा है.
नोबेल कमेटी ने उन्हें पुरस्कार देते हुए कहा, "जिस तरीके से उन्होंने यादों को प्रस्तुत किया है, उससे उन्होंने पकड़ी नहीं जा सकने वाले इंसानी भावनाओं को दिखाया है और जीवन को खोला है, पेशेवर दुनिया को भी." कमेटी ने कहा कि फ्रांसीसी लेखक "हमारे समय के मार्सेल प्रोस्ट हैं." मार्सेल प्रोस्ट फ्रांस के मशहूर उपन्यासकार थे. 'इन सर्च ऑफ लॉस्ट टाइम' नाम का उनका उपन्यास करीब चार हजार पेज का है और उसमें दो हजार से ज्यादा चरित्र हैं.
वहीं मोदियानो के काम याद, विस्मृति, पहचान, ग्लानि पर केंद्रित रहे हैं. ये सभी वे भावनाएं हैं जो जर्मन कब्जे और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अक्सर सामने आईं. मोदियानो के 30 साल के कामों में 'अ ट्रेस ऑफ मालीस' और 'हनीमून' शामिल हैं. उनके कुछ ही उपन्यास अंग्रेजी में अनुवादित हैं.
इससे पहले चिकित्सा, भौतिक शास्त्र और रसायन के लिए नोबेल दिया जा चुका है. उन्हें पुरस्कार के रूप में 11 लाख डॉलर की राशि दी जाएगी.
एएम/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)