फेमेन के हथियार
२५ फ़रवरी २०१४फेमेन आंदोलन यूक्रेन में शुरू हुआ. फेमेन की सबसे मशहूर प्रदर्शनकारी इना शेवचेंको को यूक्रेन छोड़ना पड़ा और 2013 में उन्हें पैरिस में शरण मिली. तब से फेमेन का आंदोलन पूरे यूरोप में फैल गया है. पैरिस से आंदोलन पर फेमेन के प्रतिनिधि नजर रखते हैं.
पहले तो लोग इनके भड़कीले अंदाज से आकर्षित हुए लेकिन धीरे धीरे इनकी करतूतों से परेशानी भी होने लगी. पिछले साल जब पोप बेनेडिक्ट ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो उन्होंने पैरिस के नोट्रेडाम चर्च में "पोप गेम ओवर" जैसे नारे लगाए. प्रशासन का कहना था कि फेमेन के इस प्रदर्शन की वजह से चर्च की घंटियों को नुकसान हुआ. अब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई चल रही है.
विरोध का कैसा तरीका
फेमेन के कार्यकर्ता खुद को सेक्सट्रीमिस्ट्स कहती हैं. अर्धनग्न शरीरों का प्रदर्शन कर रही यह युवा प्रदर्शनकारी अकसर विवादों में फंसती हैं. इनके संगठन में भी कई अंदरूनी परेशानियां हैं. हाल ही में ऐलिस नाम की एक कार्यकर्ता ने फ्रेंच अखबार ले फिगारो को बताया कि नई कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग की जाती है और उनके साथ वरिष्ठ सदस्य कड़ाई से पेश आते हैं, तानाशाहों की तरह. फेमेन की इना शेवचेंको ने खुद कहा है, "हम दोस्तों का गैंग नहीं हैं, हम एक सैन्य संगठन हैं. हम मस्ती करने नहीं मिलते, हम लड़ाई के लिए साथ आते हैं."
लेकिन फेमेन किससे लड़ रहा है. महिला अधिकार कार्यकर्ता, फेमेन का युवा लड़कियों के प्रति झुकाव पसंद नहीं करते. पहले तो फेमेन यूक्रेन में देह व्यापार के खिलाफ लड़ रहा था. फिर नवनाजी और घरेलू हिंसा उनके अजेंडा में आए. फेमेन ने रूस के बैंड पुसी रायट का समर्थन किया और मिस्र की आलिया अलमादी के बारे में लोगों को जागरूक किया. फेमेन ने टीवी से लेकर राजनीतिक विरोधियों के भाषणों के दौरान प्रदर्शन किया. हर बार उनका तरीका वही था, टॉपलेस प्रोटेस्ट यानी अपने शरीर के ऊपरी हिस्से से कपड़े उतारना. इससे उन्होंने पक्का कर लिया कि लोग उन्हीं को देखेंगे. चर्चों और मस्जिदों के सामने भी ऐसे प्रदर्शन हुए.
फेमेन की आलोचना
फेमेन पर आरोप लगते हैं कि वह लोगों की भावनाओं का ख्याल नहीं रखते. ट्यूनीशिया की आमीना स्बू ने फेमेन कार्यकर्ताओं से शिकायत की कि वह इस्लाम के खिलाफ काम कर रही हैं क्योंकि फेमेन कार्यकर्ताओं ने धार्मिक चिह्नों का आदर नहीं किया. 19 साल की आमीना अरब की पहली कार्यकर्ता हैं जिन्होंने टॉपलेस प्रोटेस्ट किया. फेमेन को पैसे कहां से मिलते हैं. माना जाता है कि इनके कार्यकर्ता पार्टियों का आयोजन करते हैं और सरकार इन्हें सब्सिडी भी देती है.
लेकिन फ्रांस की जानी मानी महिला कार्यकर्ता कारोलीन फूरे कहती हैं कि फेमेन की ये सभी कार्यकर्ताएं एक ऐसे देश की हैं जहां माफिया राज करता है, जहां महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वह केवल पुरुषों के लिए सुंदर दिखें और पुरुष अपनी मर्दानगी पर ध्यान देते हैं.
यूक्रेन में हालात को देखते हुए अब फेमेन के कार्यकर्ता चाहते हैं कि उनके देश में महिलाओं को भी फैसले करने का हक मिले. फेमेन का मानना है कि अपने नग्न शरीरों को राजनीतिक तौर पर मुद्दा बनाने से महिलाओं और उनके शरीर को वासना और सेक्स से अलग किया जा सकेगा. उन्हें आम लोगों की तरह देखा जाने लगेगा.
रिपोर्टः रोमी श्त्रासनबर्ग/एमजी
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी