फेंके गए खाने से चलता एक रेस्तरां
९ जुलाई २०१४लीड्स के आर्मले इलाके के शांत कोने पर बसा पे एज यू फील कैफे नाम के कॉफी हाउस का मेनू रोज बदलता है. खाने की गुणवत्ता बढ़िया है खासकर अगर आप ये सोचें कि ये खाना कहां से आया है. द रियल जंकफूड प्रोजेक्ट के एक निदेशक एड कोलबर्ट बताते हैं, "जनवरी से हमने 10 टन खाने को बर्बाद होने से बचाया है, सिर्फ लीड्स में. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य ही है खाने की बर्बादी को कम करना. सिर्फ ब्रिटेन में ही हर साल डेढ़ करोड़ टन खाना बर्बाद होता है. इसमें से अधिकतर खाने लायक होता है. वैश्विक रूप से ये बहुत ही गंभीर समस्या है."
कोलबर्ट ने डॉयचे वेले के साथ बातचीत में बताया कि दुनिया का एक तिहाई खाना बर्बाद हो जाता है. इसमें खेत, सुपरमार्केट और घरों में फेंका जाने वाला खाना शामिल है. लीड्स का कैफे उन वॉलेंटियर्स की मदद से चलता है जो ये खाना इकट्ठा करते हैं, उसे पकाते हैं और फिर परोसते हैं. खाने की अधिकतर चीजें सुपरमार्केटों या फिर पैकेजिंग स्टोरेज से ली जाती हैं. ये कैफे के स्टाफ को बता देते हैं कि खाना कब फेंका जाने वाला है.
कई बार ऐसे लोग भी इस कैफे में खाने की चीजें ला देते हैं जो छुट्टी पर जा रहे होते हैं वर्ना फल सब्जियां या दूध घर में अक्सर खराब हो जाता है. इतना ही नहीं कई बार लीड्स में आने वाले रॉक स्टार भी पार्टी के बाद बचा खाना इकट्ठा करते हैं.
यूरोप में खाने को इस्तेमाल करने की तारीख पर वैसे भी काफी भ्रम है. क्योंकि अगर तारीख के मुताबिक जाएं तो चीजें बहुत जल्द फेंकनी पड़ जाती हैं. लेकिन अक्सर देखा गया है कि वह अधिकतम तारीख के बाद भी खाने लायक रहती हैं. लेकिन अक्सर लोग शंका में होते हैं कि इस तारीख के बाद वो पदार्थ खाएं या नहीं. क्योंकि स्वास्थ्य की चिंता घर कर जाती है.
एड कोलबर्ट कहते हैं, "लोग इतने समय तक बेचते हैं कि तारीख को खाना खराब होने की तारीख समझ लेते हैं और बेस्ट बिफोर की तारीख को स्वास्थ्य और सुरक्षा की नजर से देखते हैं, मार्केटिंग की नजर से नहीं. सेल बाय दुकान के लोगों के लिए होता है ताकि वो जान लें कि फलां तारीख तक ये उत्पाद बाजार में पहुंच जाना चाहिए ताकि अगला स्टॉक निकाला जा सके."
पे एज यू लाइक कैफे में आने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें इस बात से कोई चिंता नहीं है कि खाना फेंका जाने वाला था.
रिपोर्टः लार्स बेवेंजर/एएम
संपादनः महेश झा