फायरिंग थमी तो खूबसूरती सामने आई
गोलियों की आवाज और अपहरण का डर जैसे ही खत्म हुआ, वैसे ही गजब की प्राकृतिक सुंदरता सामने आने लगी. कोलंबिया में कभी फार्क विद्रोहियों के गढ़ रहे इलाकों में अब टूरिज्म फल फूल रहा है.
सात रंगों वाली नदी
ला माकारेना नेशनल पार्क में कानो क्रिस्टालेस नदी बहती है. इसे सात रंगों वाली नदी भी कहा जाता है. पानी में कई तरह के पौधे होने कारण नदी नीली, लाल, हरी, गुलाबी, काली और नारंगी दिखाई पड़ती है.
बारूदी सुरंगों के पार
माकारेना पहाड़ियां कभी फार्क विद्रोहियों का सबसे मजबूत गढ़ हुआ करती थीं. 2016 में विद्रोहियों के हथियार डालने के बाद वहां से बारूदी सुरंगें हटाई जा रही है. सरकारी एजेंसियों की मदद से अब इस इलाके को इको टूरिज्म जोन में विकसित किया जा रहा है.
आठवां अजूबा
18वीं शताब्दी के अंत से 19वीं शताब्दी के मध्य तक दक्षिण अमेरिका पर गहन शोध करने वाले आलेक्जांडर फोन हुमबोल्ट ने इस इलाके को धरती का आठवां अजूबा कहा है. ऑरिनोको इलाके में सूखे और डूब क्षेत्र बेहद नायाब इको सिस्टम बनाते हैं. वेनेजुएला से सटे इस इलाके का इस्तेमाल फार्क विद्रोही भागने या छुपने के लिए करते थे.
व्हेल का नजारा
कोलंबिया के पश्चिमी तट पर शानदार वर्षावन और प्रशांत महासागर है. गॉर्गोना द्वीप के आस पास जून से अक्टूबर तक बड़े आराम से व्हेल मछलियां देखी जा सकती है. व्हेल मछलियां इसी इलाके को पार कर दक्षिणी प्रशांत की तरफ जाती हैं.
स्कूबा डाइविंग
2014 में शांति वार्ता के दौरान ही फार्क विद्रोहियों ने गोर्गोना द्वीप को अपने नियंत्रण में ले लिया. शांति समझौते के बाद इसे सरकार को वापस लौटा दिया गया. अब यह इको टूरिज्म सेंटर और स्कूबा डाइविंग का ठिकाना है.
रेड इंडियंस का घर
कई सदियों से अमेरिका के मूल निवासी कहे जाने वाले रेड इंडियंस कोर्डिलेरा पहाड़ियों में रहते हैं. ये कोलंबिया में पड़ने वाली एंडीज पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है. फार्क की तरह मूल निवासियों का भी एक गुट सशस्त्र विद्रोह करता था. लेकिन फार्क के बाद उन्होंने भी सरकार के साथ संघर्ष विराम संधि कर ली.
ट्रैकरों के लिए स्वर्ग
पहाड़ों पर चढ़ने वालों या ट्रैकिंग करने वालों के लिए एल कोकय नेशनल पार्क किसी जन्नत से कम नहीं. पार्क के टूरिज्म से स्थानीय लोगों की भी आय होती है.
हिंसा का जबाव पर्यटन
कोलंबिया सरकार और फार्क के बीच हुआ शांति समझौता भले ही ज्यादा पुराना न हो, लेकिन इसके अच्छे परिणाम दिखने लगे हैं. 2016 में इन इलाकों में 61 फीसदी ज्यादा सैलानी आए. 2017 में यहां रिकॉर्ड संख्या में टूरिस्ट पहुंचे. (रिपोर्ट: क्रिस्टीना एसगुएरा/ओएसजे)