प्राचीन भारतीय योग के ग्लोबल स्वरूप
प्राचीन काल में भारत से शुरु हुए योग ने बीते दशकों में दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है. भारत की पहल और उसे मिले 175 देशों के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया.
योग की शुरुआत भारत में पूर्व-वैदिक काल में हुई मानी जाती है. योग शब्द भारत से बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्रीलंका गया और अब तो लगभग पूरा विश्व ही इससे परिचित है.
आधुनिक काल में भारत से बाहर योग का प्रचार करने में योग गुरु बीकेएस आयंगर का नाम प्रमुखता से आता है. इस योगदान के लिए पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित आयंगर का 2014 में 96 साल की उम्र में निधन हुआ.
योग का सबसे नया बाजार बना है केन्या. यहां पिछले कुछ सालों में कई सारे 'योगा स्टूडियो' खुले हैं. तस्वीर में दिख रही मोजेज मुकुल्वे म्बाजा अफ्रीका योग प्रोजेक्ट में ट्रेनिंग पाने वाली नैरोबी का पहली योग शिक्षिका बनीं.
अंतरराष्ट्रीय ख्याति पाने के सिलसिले में योग 'योगा' बन गया. आज यह तेजी से बढ़ते स्वास्थ्य बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. योगाभ्यास में सांसों के अनुशासन से ब्लड प्रेशर और तनाव को कम करने में मदद मिलती है.
विश्व में प्रसिद्धि पाने के बाद करीब एक दशक पहले ही भारत में योग पुनर्जीवित हुआ और खूब लोकप्रियता पाने लगा. इससे कई तरह की बीमारियों को दूर करने के दावे भी सामने आते रहते हैं.
जर्मनी में कार्मिक योग, ऊंचाई पर योग और कई तरह के थेरेपी वाले योग प्रचलित हैं. राजधानी बर्लिन में योग शिक्षिका दास्निया एक खास तरह का शिबारी योग सिखाती हैं. यह 16वीं सदी में जापानी समुराई योद्धाओं में प्रचलित एक बंधन कला और योग का मिश्रण हैं.
जर्मनी के प्रेडोएल में हर साल एक खास तरह के स्पिरिचुअल हीलिंग कार्यक्रम का आयोजन होता है. पावर ऑफ लाइफ नाम के इस उत्सव में संगीत कार्यक्रमों, पर्यावरण जागरुकता के साथ साथ योग और ताई ची जैसी प्राचीन विधाओं का भी प्रदर्शन होता है.
जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में योग का एक स्वरूप 'लाफ्टर योगा' काफी लोकप्रिय है. सेहत, प्रसन्नता और विश्व शांति बढ़ाने में हंसी की अपनी एक खास भूमिका होती है. फ्रैंकफर्ट में हर बुधवार मिलकर लाफ्टर योगा करने वाले इस समूह जैसे और क्लब भी हैं.