प्रधानमंत्री ने देश को बेच दिया: मीडिया
२९ नवम्बर २०१०आयरिश डेली मेल ने खबर की सुर्खी बनाई है: बेच दिया देश. अपनी संपादकीय टिप्पणी में अखबार ने लिखा है कि देश को बिना किसी सुरक्षा जाल के ही धकेल दिया गया है. अखबार लिखता है, "वे लोग देश के बचत खाते को खाली करना चाहते हैं जबकि हमारे पास यही पैसा बचा था. सब्जियों के ढेर के बदले हमने जन्मसिद्ध अधिकार बेच दिए हैं."
रविवार शाम ब्रसेल्स में आयरलैंड के लिए राहत पैकेज का एलान किया गया. इस पैकेज में यूरोपीय संघ के जरिए देश को 85 अरब यूरो के कर्ज की गारंटी दी गई है. इसका ज्यादातर हिस्सा देश के बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. डबलिन ने राहत पैकेज में 17.5 अरब यूरो देने पर सहमति जताई है. इसके लिए देश के पेंशन रिजर्व फंड और अन्य घरेलू बचत में से पैसा निकाला जाएगा.
इस बारे में आयरिश सन अखबार ने लिखा है कि इस समझौते ने हमारी पीढ़ियों को भयंकर कर्ज की गर्त में धकेल दिया है. अखबार लिखता है, "यह सोचना सिर्फ कल्पना होगी कि आयरिश लोग इस कर्ज को चुका सकते हैं. कर दाताओं पर बोझ लादा जा रहा है जबकि बॉन्ड धारियों को छोड़ा जा रहा है. यह घोटाला है, शुद्ध घोटाला."
अखबार आयरिश एग्जामिनर ने भी कुछ ऐसी ही बात कही है. अखबार कहता है कि देश को 10 अरब यूरो का सालाना ब्याज चुकाना होगा. अखबार ने लिखा है, "देश को बचाने के बजाय यह उसे डुबो देगा. ब्याज का इतना बड़ा आर्थिक बोझ होगा कि आयरिश समाज के ताने बाने को आने वाली पीढ़ियों तक के लिए छलनी कर देगा."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा