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पोलैंड में बेतहाशा बन रही पवनचक्कियों पर विवाद

अलेक्जांड्रा फेदोर्स्का
१७ फ़रवरी २०२३

पोलैंड में सालों तक पवन ऊर्जा का अनियंत्रित विकास होता रहा. उसकी वजह से जब हालात बिगड़ने लगे तो नए कानून बनाए गए. लेकिन उससे पवन ऊर्जा का विकास रुक गया. अब देश में बामुश्किल ही टरबाइनों का निर्माण हो पा रहा है.

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पोलैंड में घरों के पास पवनचक्कियां
पोलैंड में घरों के पास पवनचक्कियांतस्वीर: Klatka Grzegorz/dpa/CTK/picture alliance

बाल्टिक तट पर बसे चिशोवो गांव में चलने वाली समुद्री बयार और मानुफक्टुरा सिएस्टा कैफे में बिकने वाले स्वादिष्ट चीज केक का लुत्फ उठाने वाले सैलानी जानते हैं कि वो पोलैंड की एक बड़ी प्यारी जगह में हैं. लेकिन कैफे से ऊंची और सड़क से महज 10 फुट दूर, विशाल पवनचक्की सारा मज़ा किरकरा कर देती है.

महज कुछ सौ मीटर के दायरे में, तटीय लैंडस्केप पर जहां तहां, अटपटे ढंग से दर्जन और टरबाइनें खड़ी कर दी गई हैं. ये उन विंड फार्मों का हिस्सा हैं जो 2001 और 2013 में पूरे कर लिए गए थे. लगता है कि सड़कों और मकानों से किसी तरह की दूरी रखने के बारे में जरा भी ध्यान नहीं दिया गया. इन विंड फार्मों का संचालन करने वाली कंपनियों, एनर्जिया इको और एनर्को का दावा है कि उन्हें संबद्ध अधिकारियों की ओर से जरूरी निर्माण परमिट हासिल हुआ है.

टरबाइन निर्माण पर प्रतिबंध

इस किस्म के अनियंत्रित टरबाइन विकास पर रोक लगाने के लिए पोलैंड में सत्ताधारी रूढ़िवादी लॉ एंड जस्टिस पार्टी (पीआईएस) की सरकार ने 2016 में एक कानून पास किया था जिसके तहत तमाम नयी पवन चक्की प्रोजेक्टों के लिए "10एच नियम" लागू कर दिया गया.

इस कानून के निर्देशानुसार, नजदीकी मकान या संरक्षित क्षेत्र से पवनचक्की की दूरी उसकी ऊंचाई की 10 गुना रखनी होगी. उदाहरण के लिए, अगर पवन चक्की 200 मीटर (656 फुट) ऊंची है तो वो नजदीकी मकान या संरक्षित क्षेत्र से कम से कम दो किलोमीटर दूर बनाई जानी चाहिए.

टरबाइनों के निर्माण पर कानूनी अंकुश

पवन चक्कियों को नापसंद करने वाले या उन्हें स्वास्थ्य या पर्यावरण के लिए नुकसानदायक मानने वाले लोगों ने ऐसे प्रतिबंधों का स्वागत किया है. ऐसे लोग पोलैंड में भी हैं और दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी. लेकिन पवन चक्कियों के संचालक और अक्षय ऊर्जा के समर्थक मानते हैं कि 10एच रूल एक लिहाज से घरेलू पवन ऊर्जा विकास का खात्मा है. पोलैंड के विंड एनर्जी एसोसिएसन के अध्यक्ष यानुश गायोविएत्स्की ने कहा कि कानून की वजह से पोलैंड का सिर्फ 0.28 प्रतिशत इलाका ही टरबाइनों के निर्माण के लिए उपलब्ध है.

मछुआरों को दिवालिया कर देगी पवनचक्की!

पोलैंड के एक थिंक टैंक फोरम इनर्जी से जुड़ीं अलेक्जांड्रा जियादकीविच कहती हैं, "मौजूदा कानून के तहत एक तरह से नयी पवनचक्कियों के निर्माण के लिए कोई जमीन ही नहीं बची है." वो ये भी कहती हैं कि निर्माणाधीन टरबाइनें 10एच कानून के अमल में आने से पहले जारी हुए परमिटों के आधार पर बनाई जा रही हैं, यानी 2016 से पहले. वो कहती हैं, "पोलैंड को नयी ऊर्जा की ओर जाने के लिए बबुत सारी नयी पवनचक्कियां चाहिए और जल्दी से जल्दी चाहिए."

विकास के लिए समझौते का रास्ता

पिछली जनवरी में, संसद में इस कानून के संशोधन के लिए एक बिल भी पेश किया गया था. उम्मीद थी कि ऐसा कोई समझौता निकाल लिया जाएगा जिससे पवनचक्की कंपनियों को मदद मिल सके. संशोधन के तहत, टरबाइनों और मकानों या संरक्षित क्षेत्रों के बीच, कानूनन निर्धारित दूरी को घटाकर 500 मीटर करने का प्रस्ताव था. पोलिश विंड एनर्जी एसोसिएशन के मुताबिक ऐसा हो जाए तो इससे देश के 7 फीसदी भूक्षेत्र में टरबाइनें खड़ी की जा सकेंगी. लेकिन संसद में इस पर कोई सहमति नहीं बनी. अब 700 मीटर दूरी के प्रस्ताव पर चर्चा कराने की योजना है.

समुद्र तट पर बसे चिशोवो गांव में घरों के पास पवनचक्कियां
समुद्र तट पर बसे चिशोवो गांव में घरों के पास पवनचक्कियांतस्वीर: Aleksandra Fedorska/DW

अक्षय ऊर्जा निर्माता कंपनी, केयर ग्रुप से जुड़े दामियान बाबका ने बताया कि प्रस्तावित 500 मीटर सीमा के लागू न हो पाने से पवन ऊर्जा उत्पादकों को तगड़ा झटका लगा है. उनकी कंपनी को संशोधन के पास हो जाने की बड़ी उम्मीद थी. बाबका कहते हैं, "700 मीटर की दूरी कुछ प्रोजेक्टों के लिए लागू की जा सकती है लेकिन इससे हरित ऊर्जा उत्पादन क्षमता बहुत ही कम रह जाएगी."

करीब 300 की आबादी वाले खूबसूरत चिशोवो गांव के निवासियों ने पिछली मर्तबा एक संगठन बनाया था. उसका ध्यान पवन ऊर्जा उत्पादन के अनियंत्रित विकास से पड़ने वाले प्रभाव पर था. 1998 से 8.8 फीसदी लोग, गांव छोड़कर जा चुके हैं और जो वहीं रह गए हैं, उन्हें कानून पर सख्ती से अमल के मामले में अधिकारियों पर जरा भी भरोसा नहीं रहा.

उदार, लचीले नियमों का नकारात्मक प्रभाव

चिशोवो में 10एच नियम को भारी समर्थन हासिल है. गांव के लोगों ने इसके सख्त अमल का जोरदार स्वागत भी किया था. गांव ने बाजार उदारीकरण का बुरा पहलू देखा है और नियमों के और लचीले सिस्टम का हाल भी. उदाहरण के लिए, टरबाइनों के ठीक नीचे बहुत सारे अनधिकृत कैंप और झोपड़ियां डाल दी गई. उनके लिए सामने समन्दर का खूबसूरत नजारा बेशक है लेकिन बेकार गंदे पानी के ट्रीटमेंट और कचरा जमा करने का कोई जरिया नहीं.

चिशोवो गांव के लोग पवनचक्कियों के नीचे बने ढांचों से खुश नहीं
चिशोवो गांव के लोग पवनचक्कियों के नीचे बने ढांचों से खुश नहींतस्वीर: ST Cisowo

गांववालों को नहीं पता कि किसने कब क्या बना डाला. वे इतना ही जानते हैं कि वहां रह रहे लोग आगे नहीं बढ़े हैं. लोकल एसोसिएशन के संस्थापक सदस्यों में से एक बीनर्ट परिवार का घर, एक पवनचक्की से महज 450 मीटर दूर है. बीनर्ट परिवार का मानना है कि टरबाइनों के रोटरों के शोर और उनकी वजह से रोशनी में बदलाव ने उनकी सेहत और तंदुरुस्ती पर खराब असर डाला है.

परिवार के मुखिया माचेइ बीनर्ट पुख्ता तौर पर पोलैंड में अक्षय ऊर्जा के विकास के पक्ष में हैं. उनके परिवार की रिहाइशी और कमर्शियल इमारतों की छतों पर कई सारे सौर पैनल लगे हैं और वे बड़ी मात्रा में सौर ऊर्जा बेचते भी हैं. बीनर्ट कहते हैं, "अक्षय ऊर्जा पर काम चलता रहे, इसके लिए स्पष्ट नियमों की दरकार है, लेकिन टरबाइनों से सीधे तौर पर प्रभावित लोगों के बिना आप वे नियम नहीं बना सकते."