पोलियो की जरूरी बातें
पोलियोमेलिटिस यानि पोलियो एक गंभीर वायरल बीमारी है. रीढ़ की हड्डी में संक्रमण पहुंचने के बाद पैरों को लकवा मार जाता है. पोलियो का वायरस पेट और आंत में बढ़ता है. खतरा तब तक बना रहता है जब तक लार या मल में वायरस जीवित हो.
बच्चों को लाचार करता पोलियो
दुनिया के अधिकतर देश पोलियो को कल की बात समझ कर भूल चुके हैं. पर यह वायरस आज भी बच्चों पर हमला कर रहा है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर पोलियो वायरस का असर होता है. 200 में से एक मामले में बच्चा विकलांग हो जाता है. यह वायरस टांगों को लाचार कर देता है और इसका कोई इलाज मैजूद नहीं है.
अब भी तीन देशों में
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया, इन तीन देशों से अब भी पोलियो का सफाया नहीं किया जा सका है. कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली और सुरक्षा कारणों से अब भी वहां पोलियो के खिलाफ जंग जीती नहीं जा सकी है. खतरा इस बात का भी है कि वायरस इन देशों से एक बार फिर दूसरे देशों में फैल सकता है.
हो सकता है पूरी तरह सफाया
पोलियो वायरस की तीन नस्लें हैं. टाइप 2 का 1999 में ही सफाया हो गया था. टाइप 3 के मामले ना के बराबर ही हैं. ये वायरस इंसानी शरीर के बाहर ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह पाते. अगर सभी को टीका लगा हो तो यह वायरस संक्रमण नहीं कर पाता और जल्द ही खत्म हो जाता है.
असरदार टीके
पोलियो के लिए दो प्रकार के टीके मौजूद हैं, ओपीवी और आईपीवी. ओपीवी यानि ओरल पोलियो वैक्सीन. दो बूंद की इस खुराक देने के लिए डॉक्टरों की जरूरत नहीं पड़ती. अधिकतर पोलियो अभियान में इसी का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं आईपीवी यानि इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन इंजेक्शन के जरिए दी जाती है.
भारत में लाखों बूथ
13 जनवरी, 2011 को आखिरी बार भारत में पोलियो का मामला दर्ज किया गया. इस बीच भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया है. इसके पीछे सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ का सहयोग अहम रहा है. पोलियो अभियान के दौरान एक ही राउंड में देश में 6,40,000 बूथ लगाए गए और 20 करोड़ खुराकों का इंतजाम किया गया.
अभियान के फायदे
पोलियो अभियान के दौरान ना केवल घर घर बच्चों को "दो बूंद जिंदगी की" दी गयी, बल्कि उनके स्वास्थ्य का रिकॉर्ड भी तैयार किया गया. इससे अन्य बीमारियों को रोकने में भी मदद मिलेगी. साथ ही कई जगहों पर बच्चों को विटामिन ए की गोलियां दी गयी ताकि बीमारियों से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ाई जाए.
पाकिस्तान का डर
पाकिस्तान को डर है कि इस साल पोलियो के मामलों की संख्या 200 को पार कर सकती है. ऐसा होने पर यह देश में पोलियो अभियान शुरू होने के बाद से सबसे अधिक संख्या होगी. तालिबान का असर और कट्टरपंथियों की सोच पाकिस्तान को पोलियो मुक्त कराने के रास्ते के पत्थर बने हुए हैं.