पृथ्वी से मिलता जुलता ग्रह!
७ फ़रवरी २००९पृथ्वी जैसे ग्रह का पता चला
सौरमंडल से बाहर के ग्रहों का पता लगाने वाले विशेष उपग्रह कोरोट से मिले आंकड़ों के आधार पर जर्मनी में कोलोन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और उनके सहयोगियों ने 400 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक दिलचस्प ग्रह का पता लगाया है. सौरमंडल से बाहर अब तक जिन लगभग 330 बाह्यग्रहों का पता चला है, उनकी तुलना में यह नया ग्रह, जिसे "COROT EXO-7 बी" नाम दिया गया है, पृथ्वी के सबसे अधिक समरूप माना जा रहा है. अनुमान है कि यह ग्रह पिघले हुए लावा और ठोस चट्टानों का बना है. वह पृथ्वी की अपेक्षा केवल दुगुना बड़ा है. 21 घंटे से कुछ कम समय में ही अपने सूर्य की परिक्रमा कर लेता है, लेकिन बहुत गरम हैः 1,000 से 1,500 डिग्री सेल्ज़ियस तक गरम, इस कारण उस पर जीवन होना संभव नहीं लगता. कोरोट के अवलोकनों की पुष्टि के लिए चिली स्थितगर्मा रहा है दक्षिणी ध्रुव
भूमंडलीय तापमान बढ़ने से दक्षिणी ध्रुव भी अछूता नहीं बचा है. अब तक के अनुमानों के विरुद्ध केवल पश्चिमी एंटार्कटिक प्रायद्वीप का ही नहीं, उससे कहीं बड़े संपूर्ण एंटार्कटिक, अर्थात दक्षिणी ध्रुव वाले संपूर्ण महाद्वीप का तापमान भी मंद गति से बढ़ रहा है. गत 50 वर्षों में पश्चिमी एंटार्कटिक प्रायद्वीप का तापमान औसतन 0.12 डिग्री सेल्ज़ियस प्रति दस वर्ष बढ़ता गया है. इस अवधि में एंटार्कटिक के अन्य भागों में भी तापमान बढ़ा है, हालांकि यह वृद्धि उत्तरी ध्रुव प्रदेश की अपेक्षा कहीं कम रही है. पृथ्वी पर की 90 प्रतिशत बर्फ दक्षिणी ध्रुव प्रदेश पर ही संचित है.
बड़े काम की सुई!
जर्मन शोधकों ने पाया है कि एक्यूपंक्चर अर्थात सूईवेधन द्वारा उपचार की चीनी तकनीक से सिरदर्द और अधकपारी या आधाशीशी जैसी बीमारियों में लाभ तो पहुँचता है, लेकिन यह लाभ अक्सर तब भी पहुँचता है, जब सूइयाँ ग़लत तरीके से चुभाई जाती हैं. म्यूनिक के तकनीकी विश्वविद्यालय की ओर से कराए गये इस अध्ययन के प्रमुख क्लाउस लिंडे का कहना है कि उनकी खोज से यही संकेत मिलता है कि एक्यूपंक्चर से होने वाले लाभ का संबंध सही विधि से उतना नहीं है, जितना इस विधि में रोगियों के विश्वास से है.
2008 में कोई नया परमाणु बिजलीघर नहीं
ऊर्जा संकट के सारे रोने-धोने के बीच 2008 में संसार में एक भी नया परमाणु बिजलीघर चालू नहीं हुआ. गत 42 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अधिकरण IAEA के अनुसार वैश्विक बिजली उत्पादन में परमाणु बिजलीघरों का हिस्सा गिर कर अब केवल 2.5 प्रतिशत रह गया है. 2008 के अंत तक संसार में कुल 438 परमाणु बिजलीघर कार्यरत थे और 48 निर्णणाधीन थे. इन आंकड़ों से पता चलता है कि कोई एक दशक से परमाणु बिजलीघरों के प्रति उत्साह घट रहा है. परमाणु ऊर्जा के पैरोकार पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बुश भी अपने पूरे कार्यकाल में अमेरिका में एक भी परमाणु बिजलीघर का निर्माण शुरू नहीं करा पाए. जर्मनी में तो परमाणु बिजलीघरों को धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है. परमाणु बिजलीघरों से पैदा होने वाले ख़तरों के कारण पश्चिमी देशों की जनता में उनका विरोध लगातार बढता गया है.
नमक ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ाता
नमक बदनाम है कि वह ब्लड प्रेशर यानी रक्तचाप बढ़ाता है. इस बीच वैज्ञानिकों को इस पर शक होने लगा है. जर्मनी में ड्रेस्डेन विश्वविद्यालय के प्रो. कार्ल-लुडविश रेश का मत है कि ऐसा कोई भरोसेमंद वैज्ञानिक अध्ययन उपलब्ध नहीं है, जो सिद्ध करता हो कि नमक के औसत मात्रा में उपयोग से स्वस्थ जनता के बीच रक्तचाप बढ़ता है. उनका कहना है कि उच्च रक्तचाप के अनेक कारण हो सकते हैं, खाने के नमक में कमी उसे घटाने का एक उपाय हो सकता है. प्रो. रेश के अनुसार 4 से 5 किलो वज़न बढ़ जाने का रक्तचाप बढ़ाने पर दो से तीन गुना असर हो सकता है.
हाई ब्लड प्रेशर का जीन मिला
हो सकता है कि हमारी कोषिकाओं का केवल एक ही जीन उच्च रक्तचाप की बीमारी पैदा करने के लिए ज़िम्मेदार होता है. अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि यह जीन है STK39. वही शरीर में नमकों की आवाजाही को नियंत्रित करता है. इस जीन के बदल जाने पर हमारे गुर्दों की नमक को छानने की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और रक्तचाप बढ़ने लगता है.
डिजिटल कॉर्डलेस टेलीफ़ोन दूसरे भी सुन सकते हैं
घरों के भीतर आजकल इस्तेमाल होने वाले बिना तार के अधिकतर कॉर्डलेस टेलीफ़ोन DECT कहलाने वाली डिजिटल तकनीक पर आधारित हैं. DECT है Digital Enhanced Cordless Telecommunications का प्रथमाक्षर संक्षेप. हिंदी में अर्थ हुआ डिजिटल विधि से अभिवर्धित बिना तार का दूरसंचार. इस तरह के टेलीफ़ोन से बातचीत को अवांछित लोग भी आसानी से सुन सकते हैं. जर्मनी में डार्मश्टाट के तकनीकी विश्वविद्यालय ने पाया है कि आपके घर के बाहर कार में बैठा हुआ कोई दूसरा आदमी भी एक लैपटॉप या कुछ विशेष उपकरणों के द्वारा न केवल आपकी बातचीत सुन सकता है, आपके ख़र्चे पर स्वयं फ़ोन भी कर सकता है. इस समस्या को फ़िलहल दूर नहीं किया जा सकता, क्योंकि कॉर्डलेस फ़ोन की डिजिटल प्रोग्रैमिंग को बदला नहीं जा सकता. एक ही उपाय है, टेलीफोन के तार वाले अपने पुराने फ़ोन की फिर से शरण लें.
मौसम में भी हो रहा है बदलाव
तापमान बढ़ने से जलवायु बदल रही है. जलवायु बदलने से वसंत और शिशिर यानी पतझड़ की ऋतुएं भी पिछले 50 वर्षों में औसतन पौने दो दिन पहले शुरू होने लगी हैं. यह कहना है बर्कली में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलीफ़ोर्निया के वैज्ञानिक अलेकज़ैंडर स्टाइन का. उन्होंने लिखा है कि ऋतुएं शुरू होने के समय की 20वीं सदी के प्रथमार्ध और द्वितियार्ध में तुलना करने पर पृथ्वी के सूखे भूभगों पर तो यह रुझान देखने में आती है, जबकि सागरों पर की जवलायु के बारे में कोई स्पष्ट चित्र नहीं उभरता.
पाचनतंत्र के बैक्टीरिया मोटापे का कारण
हमारे पाचनतंत्र में, यानी पेट और आंतों में रहने वाले विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया शायद इस बात का भी कारण होते हैं कि कुछ लोग जल्दी ही मोटे क्यों होने लगते हैं और कुछ नहीं. अमेरिका में किये गये एक अध्ययन से पता चला कि जिस तरह के बैक्टीरिया सामान्य वज़न वाले लोगों के पाचनतंत्र में मिलते हैं, बिल्कुल वही बैक्टीरिया अधिक वज़न वालों के पाचनतंत्र में नहीं मिलते. दूसरे शब्दों में, जिन लोगों का वज़न सामान्य से कहीं अधिक होता है, उनके मोटापे के लिए केवल उन्हीं के पाचनतंत्र में रहने वाले बैक्टीरिया उत्तरदायी हो सकते हैं. वे शायद भोजन को बेहतर ढंग से इतना महीन और मुलायम बना देते हैं कि आंतों में उसका अवशोषण बहुत सरल हो जाता है. देखना है कि क्या अन्य अध्ययनों में भी इसकी पुष्टि होती है या नहीं.