पूर्व पाकिस्तानी जज को नौकरानी के उत्पीड़न के लिए सजा
१८ अप्रैल २०१८इस्लामाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस आमेर फारुक ने पूर्व उप जिला जज राजा खुर्रम अली खान और उनकी पत्नी पर 100,000 पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी किया है. 10 साल की तय्यबा का मामला तब सुर्खियों में आया जब पुलिस ने उसे पड़ोसियों की शिकायत के बाद जज के घर से 2016 में बचाया था.
जज परिवार पर अपनी नाबालिग नौकरानी को अवैध रूप से कब्जे में रखने, एक झाड़ू खोने के आरोप में हाथ जलाने, पिटाई करने और गंभीर परिणामों की धमकी देने का आरोप लगाया गया था.
शुरू में तय्यबा के माता पिता ने खान दम्पत्ति के साथ माफीनामे के लिए एक डील किया था लेकिन पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने, जो निगरानी अदालत के रूप में भी काम करती है, उन पर मुकदमा फिर से चलाने का आदेश दिया था. राजा खुर्रम अली खान का कहना था कि मामले को मीडिया में एक प्रॉपर्टी टायकून की दिलचस्पी की वजह से तूल दिया गया क्योंकि उन्होंने प्रॉपर्टी टायकून के खिलाफ कुछ फैसले दिए थे.
सरकारी वकील तारिक जहांगिरी के अनुसार नया मुकदमा करीब एक साल चला. उसके बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. बाद में उसी कोर्ट ने खान दम्पत्ति को जमानत दे दी. बचाव पक्ष के वकील रिजवान अब्बासी के अनुसार जमानत प्रति व्यक्ति 50,000 रुपये के मुचलके पर दी गई है ताकि वे सजा के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील कर सकें. अब्बासी ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील करेंगे.
बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि तय्यबा का मामला पाकिस्तान में बाल मजदूरी की स्वीकार्यता और बच्चों की बुरी हालत को दिखाता है. देश में घरेलू कर्मचारियों की सुरक्षा का कोई कानून नहीं है, हालांकि सिंध प्रांत ने 2017 से बाल मजदूरी पर रोक लगा दी है. गरीबी और भूखमरी के खिलाफ काम करने वाले बोर्गेन प्रोजेक्ट के अनुसार पाकिस्तान में 1.25 करोड़ बाल मजदूर हैं. पाकिस्तान के श्रमिक सर्वे के अनुसार 2014-15 में बाल मजदूरी में लगे 10 से 14 साल के बच्चों में करीब 40 फीसदी लड़कियां थीं और करीब 88 फीसदी देहाती इलाकों से आए थे.
एमजे/एनआर(एपी)