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"पायलटों ने फर्जी मार्कशीट के लिए 10 लाख दिए"

१५ मार्च २०११

फर्जी मार्कशीट के आधार पर पायलट का लाइसेंस पाने वाले दो पायलटों ने मार्कशीट के लिए कम पैसा खर्च नहीं किया. पुलिस का कहना है कि ये फर्जी मार्कशीट 10-12 लाख रुपये में बनवाई गईं. दोनों पायलट हिरासत में हैं.

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तस्वीर: AP

पुलिस ने इंडिगो एयरलाइंस की पायलट परमिंदर कौर गुलाटी और एयर इंडिया के जीतेंद्र कृष्ण वर्मा को एक हफ्ते के भीतर गिरफ्तार किया है. इन दोनों पर फर्जी दस्तावेज देकर पायलट बनने के आरोप लगे हैं. वर्मा तो पिछले 22 साल से सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया में काम कर रहे थे. दो और पायलटों के खिलाफ जांच चल रही है जो फिलहाल लापता हैं.

Flughafen Neu-Delhi weiht neues Terminal ein
तस्वीर: AP

पुलिस ने अपनी जांच का दायरा फैला दिया है ताकि फर्जी मार्कशीट देने वाले दलालों को भी पकड़ा जा सके. क्राइम ब्रांच के डीसीपी अशोक चांद ने कहा कि इंडिगो की मीनाक्षी सहगल और एमडीएलआर के स्वर्ण सिंह तलवार की भी तलाश की जा रही है. डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने इन सभी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन दलालों को भी पकड़ने की कोशिश हो रही है जिनसे पायलटों ने फर्जी मार्कशीट हासिल की. अधिकारी ने बताया, "लगता है कि उन्होंने अपनी मार्कशीट के लिए 10 से 12 लाख रुपये तक दिए हैं. हम इसकी जांच कर रहे हैं."

पुलिस के मुताबिक सोमवार को गिरफ्तार किए गए वर्मा 1989 से एयर इंडिया में काम कर रहे हैं. उन्होंने पायलट का लाइसेंस पाने के लिए परीक्षा दी लेकिन वह पास नहीं कर सके. फिर उन्होंने फर्जी दस्तावेज देकर लाइसेंस हासिल कर लिया.

वर्मा मुंबई में पैदा हुए और वहीं पले बढ़े. उन्होंने 1986 में मुंबई यूनिवर्सिटी से बीकॉम किया. अगले ही साल उन्होंने अमेरिका के फ्लोरिडा से कमर्शल पायलट लाइसेंस हासिल किया. 1989 में उन्होंने एयर इंडिया में ट्रेनी पायलट की हैसियत से काम शुरू किया. ट्रेनिंग के बाद वह को पायलट बन गए.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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