पापा जल्दी आ जाना
सीरिया के दामासजेनर में यारमुक इलाके में महीनों से फलिस्तीनी लोग फंसे हैं. फलों की बजाए बम यहां के बच्चों और लोगों के रोजमर्रा की कहानी है. खाना लाने गए पिता या मां लौटेंगे कि नहीं इसका कोई विश्वास नहीं.
खाने का इंतजार
यारमोक में फलिस्तीनी शरणार्थियों का शिविर. यहां लोग खाने और राहत सामग्री का इंतजार करते खड़े हैं. यारमोक की ये तस्वीर पूरे सीरिया की है. हिंसा, भूख और मौत.
चेतावनी
न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वेयर पर सीरिया के लोगों की याद दिलाने के लिए लगाया गया चित्र. इसके जरिए लोगों को याद दिलाया जा रहा है कि सीरिया में लोगों को तुरंत मदद की जरूरत है.
रोज हिंसा
इस संघर्ष का सबसे ज्यादा असर अगर किसी पर हो रहा है तो वे हैं बच्चे. परिवार खत्म हो गए हैं और पीछे रह गए हैं बच्चे, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं. कई बच्चे खाने से महरूम हैं.
ये जीवन है
यारमुक में रहने वाले डेढ़ लाख से ज्यादा फलिस्तीनी सालों से सीरियाई लोगों के साथ रह रहे हैं. सीरिया संकट के कारण यहां करीब 18,000 लोग फंसे हैं. पैसा कमाने के लिए यह बच्चा लोहा बेचने की कोशिश में है.
सब ध्वस्त
संयुक्त राष्ट्र के उनर्वा सहायता संगठन के प्रमुख फिलिपो ग्रांडी भी कई दिन यारमुक में थे. उन्होंने बताया कि इलाके के अधिकतर मकान ध्वस्त हो गए हैं.
अनुमति के बाद ही
उनर्वा की भेजी राहत और खाद्य सामग्री यारमुक तक हफ्तों नहीं पहुंचती. अगर पहुंची तो सीरियाई सरकार की अनुमति के बाद.
दमिश्क का नियंत्रण
इस इलाके में एक दूसरे के दुश्मन कई गुट महीनों से संघर्ष कर रहे हैं. यहीं से सीरियाई राजधानी का रास्ता भी जाता है.