पाक एजेंसी नाराज, जियो पर बैन का खतरा
२६ अप्रैल २०१४पाकिस्तान के मीडिया हाउस 'जंग ग्रुप' को खुल कर सरकार की आलोचना करने के लिए जाना जाता है. जंग ग्रुप ने न केवल जियो टीवी पर आवाज उठाई है, बल्कि अपने कई अखबारों में भी सरकार विरोधी लेख छापे हैं. सरकार और इस मीडिया हाउस के बीच अनबन तो लंबे समय से चल रही थी पर किसी ने नहीं सोचा था कि मीर पर हमले के बाद जंग ग्रुप के मालिक मीर शकील उर रहमान पर मुसीबत के बादल मंडलाने लगेंगे.
हामिद मीर पाकिस्तान के जाने माने पत्रकार हैं. 19 अप्रैल को कराची में उन पर हमला हुआ. मीर और उनके भाई ने देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. रहमान का कहना है कि हमला आईएसआई प्रमुख जहीरउल इस्लाम के कहने पर हुआ. जियो टीवी पर भी खुल कर आईएसआई की आलोचना की गयी. नतीजतन अब चैनल का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मीडिया नियंत्रण संस्थान पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेशन अथॉरिटी से चैनल का लाइसेंस रद्द करने को कहा है.
गौरतलब है कि हामिद मीर अपनी रिपोर्टिंग में आईएसआई की कड़ी आलोचना करते रहे हैं. बलोचिस्तान में हजारों लोगों के अपहरण के पीछे भी उन्होंने सेना का ही हाथ होने की भी बात की है. उन्हें जानने वालों का मानना है कि यही तहकीकात खुफिया एजेंसी की आंखों में खटक रही थी और इसीलिए उन्होंने उन्हें रास्ते से हटाने की योजना बनाई. इस हमले को मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया जा रहा है.
अकेला पड़ा जियो टीवी
वहीं दक्षिणपंथियों और धार्मिक संगठनों ने जंग ग्रुप के मालिक रहमान को देशद्रोही करार दिया है. साथ ही अन्य टीवी चैनलों ने आईएसआई के समर्थन में रिपोर्टें दिखानी शुरू कर दी हैं. पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल के लिए काम करने वाले अरसलान खालिद का कहना है, "यह सच है कि लोग पहले की तुलना में अब आईएसआई की ज्यादा आलोचना करते हैं पर 19 अप्रैल को हमने देखा कि एक चैनल लगातार आठ घंटे तक आईएसआई के खिलाफ रिपोर्ट करता रहा ताकि उसकी छवि खराब की जा सके."
खालिद के अनुसार चैनल को इतना हल्ला मचाने की जरूरत नहीं थी और ना ही वे हामिद मीर पर हुए हमले को मीडिया की आजादी पर हमला समझते हैं. बल्कि उनका मानना है कि जियो न्यूज को अपने इस रवैये के लिए माफी मांगनी चाहिए. वहीं जियो टीवी का मानना है कि अन्य चैनल प्रतिस्पर्धा के कारण जियो का साथ नहीं दे रहे. इस पर खालिद का कहना है, "हां यह सच है कि मीडिया चैनलों में अनबन है लेकिन कोई भी नहीं चाहता कि जियो टीवी बंद हो जाए. पाकिस्तान में कई पत्रकारों को लगता है कि जो जियो टीवी ने किया वह गलत है."
कराची स्थित पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता अख्तर बलोच इस से सहमत नहीं हैं. लेकिन वे इस बात को मानते हैं कि मीडिया के लिए भी कोई सीमा तय होनी चाहिए, "कुछ नियमावली तो होनी ही चाहिए. पाकिस्तान में मीडिया ने सभी सीमाएं तोड़ दी हैं. 2008 से 2013 तक जिस तरह से जियो टीवी ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ अभियान चलाया उससे तो साफ दिखता है कि देश में मीडिया निष्पक्ष नहीं है." बलोच का कहना है कि यही वजह है कि मीर के मामले में अन्य चैनल जियो टीवी का साथ नहीं दे रहे.
रिपोर्ट: शामिल शम्स/आईबी
संपादन: महेश झा