पाकिस्तान सरकार का संकट टला, गठबंधन जुड़ा
७ जनवरी २०११एमक्यूएम के सदस्य रजा हारून ने कहा, "देश के हित में हमने तय किया कि हम सरकार को समर्थन देंगे लेकिन हम कैबिनेट का हिस्सा नहीं बनेंगे." पाकिस्तान की संसद के निचले सदन में 342 सीटों में से एमक्यूएम के पास 25 सीटें हैं और इससे सरकार को 10 सीटों का बहुमत मिलता है. पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के मुद्दे पर एमक्यूएम ने रविवार को सरकार से समर्थन लेने का फैसला किया जिससे सरकार अल्पमत में आ गई थी और उसके गिरने का संकट पैदा हो गया था.
इसलिए प्रधानमंत्री कोशिश कर रहे थे कि किसी तरह से पार्टी फिर से सरकार में शामिल हो जाए. प्रधानमंत्री गिलानी ने कहा, "मैंने राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दों पर एमक्यूएम के नेताओं से गहन चर्चा की और देश को मुश्किलों से बाहर निकालने के लिए सरकार में लौट आने का निमंत्रण दिया."
पार्टी की मुख्य शर्त उन्होंने गुरुवार को मानते हुए ईंधन की कीमतों में की गई नौ फीसदी की बढ़ोत्तरी को उन्होंने खत्म कर दिया. साथ ही प्रधानमंत्री ने गठबंधन पार्टी से समझौता किया कि देश में बढ़ती कीमतों के बारे में चर्चा की जाएगी. साथ ही उन्होंने वादा किया कि आगे सभी अहम मुद्दों पर एमक्यूएम से चर्चा करने के बाद ही फैसले लिए जाएंगे. गिलानी को एमक्यूएम का साथ तो फिर से मिल गया लेकिन अमेरिका की आलोचना भी.
अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा, हमने साफ किया है कि पाकिस्तान को ठोस आर्थिक आधार देने वाली प्रगति को रोकना गलती है. और हम आगे भी अपना पक्ष रखते रहेंगे. हमें लगता है कि पाकिस्तान की सरकार को आर्थिक कानून और नियम बदलने चाहिए जिसमें ईंधन और उसकी कीमतों पर प्रभाव डालने वाले कानून भी शामिल हैं.
गिलानी की इस सफलता से उन्हें और राष्ट्रपति जरदारी को थोड़ी राहत मिली है लेकिन उनके सामने अभी मुख्य चुनौती पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की समय सीमा बची है. पार्टी के 91 सदस्यों ने धमकी दी है कि अगर उनकी मांगे सोमवार तक पूरी नहीं की गई तो वह प्रदर्शन तेज कर देंगे और मध्यावधि चुनावों की मांग करेंगे. इसमें कीमतें काबू में करने, भ्रष्टाचार खत्म करने, हाई कोर्ट के फैसले लागू करने की मांगे शामिल हैं. हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने में राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमा चलाना भी शामिल है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़