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पाकिस्तान में क्या कभी खत्म होगा टू फिंगर टेस्ट

१९ फ़रवरी २०२१

पाकिस्तान में बलात्कार पीड़ितों को आज भी टू फिंगर टेस्ट से गुजरना पड़ता है. महिला अधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से इस पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं. हाल में पाकिस्तानी अदालतों के कुछ फैसलों से इसकी उम्मीद जगी है.

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Pakistan Islamabad | Protest gegen Vergewaltigung
फाइलतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Naveed

दो महीने पहले शाजिया (बदला हुआ नाम) को बलात्कार की जांच के दौरान तथाकथित वर्जिनिटी टेस्ट (कौमार्य परीक्षण) से गुजरना पड़ा. टेस्ट के दौरान हुए भयानक अनुभव से पाकिस्तानी लड़की अब भी सहमी हुई है. टेस्ट में डॉक्टर ने क्या किया यह बताते हुए उसके चेहरे पर बार बार दर्द झलकता है. वर्जिनिटी टेस्ट या टू फिंगर टेस्ट में डॉक्टर योनि के अंदर दो उंगलिया डाल कर यह पता करते हैं कि कोई महिला या लड़की यौन रूप से सक्रिय है या नहीं. शाजिया ने बताया, "उसने अपनी उंगली डाली और फिर कुछ और भी, मैं जोर से चीखी क्योंकि बहुत दर्द हुआ और मैंने उसे रुकने के लिए कहा लेकिन वो नहीं मानी और मुझे डांटते हुए कहा कि तुम्हें यह सब सहना होगा."

बलात्कार और फिर टेस्ट में अपमान

महिला अधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से वर्जिनिटी टेस्ट पर रोक लगाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनकी दलील है कि यह अपमानजनक है और किसी महिला के यौन इतिहास से उसके बलात्कार पर कोई असर नहीं पड़ता. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2018 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि इस टेस्ट का कोई "वैज्ञानिक महत्व नहीं है", यह दर्दनाक और नीचा दिखाने वाला है जिस पर पूरी दुनिया में प्रतिबंध लगना चाहिए.

पाकिस्तान में हाल के दिनों में हुए कुछ कानूनी फैसलों से इस नियम पर रोक लगने की उम्मीद जगी है. इसी साल जनवरी में पाकिस्तान की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य में सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह की याचिका पर इस टेस्ट को कोर्ट ने गैरकानूनी घोषित किया. पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट एक दशक पहले ही यह फैसला दे चुका है कि बलात्कार की शिकायत वर्जिनिटी टेस्ट के आधार पर खारिज नहीं की जा सकती.

Pakistan I Protest gegen Gewalt an Frauen
फाइल तस्वीर: Arif Ali/AFP/Getty Images

हालांकि पाकिस्तान के न्याय तंत्र में काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि अब भी बड़े पैमाने पर टेस्ट का इस्तेमाल हो रहा है. इसके लिए वो संसाधनों की कमी और यौन हिंसा को लेकर गहराई तक लोगों के मन में बैठे भ्रम को जिम्मेदार मानती हैं. सुमैया सैयद तारिक एक पुलिस सर्जन हैं जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 1999 से ही पीड़ितों के साथ काम कर रही हैं. वो बलात्कार की जांच करती हैं, पोस्टमार्टम करती हैं और कोर्ट में सबूत पेश करती हैं. 2006 में जब उन्हें टू फिंगर टेस्ट से होने वाले नुकसान का पता चला तो उन्होंने इसे बंद कर दिया और अब वो लोगों के बीच इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए काम कर रही हैं.

हालांकि पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में बलात्कार की जांच के लिए केवल 11 मेडिकल वर्कर मौजूद हैं. यहां 1.6 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं. तारिक का कहना है कि टू फिंगर टेस्ट को अकसर जल्दी से काम निपटाने का तरीका माना जाता है. व्हाट्सऐप पर दी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा,"कौमार्य का मुद्दा या महिला 'उस काम' की कितनी 'आदी' है यह कभी भी जांच करने वालों के विचार में नहीं आना चाहिए." तारिक का कहना है, "व्यापारिक सेक्स वर्कर का भी बलात्कार हो सकता है. बलात्कार का सिर्फ आरोप ही परीक्षण या जांच करने के लिए पर्याप्त है. इसके लिए यौन इतिहास पर विचार करने की जरूरत नहीं है."

कम लोगों को सजा

बहुत से मानवाधिकार संगठनों ने वर्जिनिटी टेस्ट को अमानवीय और अनैतिक बता कर उसकी निंदा की है और इस पर कई देशों में रोक है. भारत सरकार ने भी 2014 में जारी दिशानिर्देशों में कहा कि टेस्ट का "यौन हिंसा के मामलों में कोई संबंध नहीं है." हालांकि महिला अधिकार कार्यकर्ता बताते हैं कि इसका अब भी इस्तेमाल हो रहा है.

पाकिस्तान में पिछले साल जब एक महिला के सामूहिक बलात्कार के मामले पर बहुत हंगामा मचा तो देश में यौन हिंसा के कानूनों को मजबूत करने के लिए राष्ट्रपति ने कई उपायों की घोषणा की. उसमें इस टेस्ट पर रोक लगाने की बात भी शामिल थी. हालांकि ये उपाय जल्दी ही बेअसर हो जाएंगे अगर संसद उन्हें वोटिंग करा कर कानून ना बना दे.

प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार मिर्जा शहजाद अकबर का कहना है कि इन उपायों को संसद के ऊपरी सदन में 3 मार्च को होने वाले चुनाव के बाद पेश किया जाएगा. पाकिस्तान में मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन माजरी ने पिछले महीने ट्वीट कर टेस्ट पर पाबंदी का समर्थन किया था.

वो लाहौर हाइकोर्ट के इस फैसले का जवाब दे रही थीं कि वर्जिनिटी टेस्ट नहीं कराए जाने चाहिए. जजों ने इसे "अपमानजनक कहा जो पीड़ित पर ही संदेह करने की इजाजत देता है बजाए इसके कि आरोपी पर पूरा ध्यान लगाया जाए." सिंध प्रांत की राजधानी कराची की हाईकोर्ट में भी इसी तरह की सुनवाई चल रही है जिसमें इस टेस्ट को चुनौती दी गई है.

पिछले साल सुमैया सैयद तारिक ने सिंध के 100 मामले ले कर यह जानने की कोशिश की कितने मामलों में वर्जिनिटी टेस्ट हुआ. उन्हें पता चला कि 86 मामलों में शाजिया की तरह पीड़ितों को वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ा. शाजिया ने बताया कि जिस महिला ने उसका टेस्ट किया वह गुस्से में दिख रही थी और जल्दी में थी.

उसके साथ बलात्कार करने वाला शख्स हिरासत में है लेकिन फिर भी उसे और उसके परिवार को वो इलाका छोड़ कर जाना पड़ा. बलात्कार के साथ समाज में जुड़े कलंक ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया. शाजिया को वकील आसिया मुनीर से मदद मिल रही है जो वॉर अगेंस्ट रेप नाम के एक अभियान से जुड़ी हैं. मुनीर का मानना है कि टू फिंगर टेस्ट के कारण बलात्कार के मामलों में कम लोगों को सजा हो पाती है. पाकिस्तान में यौन हिंसा या बलात्कार के सिर्फ 3 फीसदी मामलों में ही दोषी को सजा होती है.

मुनीर का कहना है, "जो शख्स पहले से ही सदमे की स्थिति में है उसके लिए यह बहुत पीड़ादायी है. मुझे पूरा यकीन है कि इससे ज्यादा गरिमा और कम अपमान के साथ सच का पता लगाया जा सकता है."

एनआर/आईबी(थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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