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कुलभूषण जाधव कर सकेंगे अपील

चारु कार्तिकेय
११ जून २०२१

पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव को सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने की अनुमति देने वाला बिल पारित हो गया है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार ने तय प्रक्रिया को दरकिनार कर बिल को जबरदस्ती पास करा लिया.

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Pakistan Islamabad Kulbhushan Jadhav
तस्वीर: Reuters/F. Mahmood

आईसीजे (रिव्यु एंड रिकंसिडरेशन) बिल, 2020 को पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली ने पास कर दिया है. उम्मीद की जा रही है कि इससे जाधव को थोड़ी राहत मिलेगी और वो उन्हें दिए गए मौत के फैसले के खिलाफ प्रभावी रूप से अपील कर पाएंगे. बिल का संसद के ऊपरी सदन सीनेट से पास होना अभी बाकी है. नेशनल असेंबली में विपक्ष ने बिल का और उसे पारित कराए जाने की प्रक्रिया का विरोध किया.

विपक्ष ने आरोप लगाया कि बिल को जल्दबाजी में पारित कराया गया और विपक्ष के सांसदों को उसे ठीक से पढ़ने का समय भी नहीं दिया गया. विपक्ष ने यह भी कहा कि ऐसा लग रहा है कि यह बिल सिर्फ जाधव के लिए ही लाया गया था और बिल के उद्देश्यों में उनका नाम भी दर्ज है. हालांकि सरकार ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि इसे अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत (आईसीजे) के आदेशों का सम्मान करते हुए लाया गया है और इसे ला कर सरकार ने साबित कर दिया है कि पाकिस्तान एक "जिम्मेदार" देश है. 

इस बिल के प्रावधानों को अध्यादेश के जरिए मई 2020 में ही लागू कर दिया था. आईसीजे ने 2019 में ही पाकिस्तान को आदेश दिया था कि वो जाधव को दी गई सजा पर "प्रभावी रूप से पुनर्विचार" करे और उन्हें भारत के उच्च-आयोग से संपर्क करने दे. जाधव भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं और उन्हें पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों का दोषी पाया था. उन्हें अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी.

Pakistan - Gefängnisbesuch bei Kulbhushan Jadhav
शीशे की एक स्क्रीन के पीछे खड़े अपने परिवार के सदस्यों से बात करते कुलभूषण जाधवतस्वीर: Ministry of foreign affairs Pakistan

वकील कौन होगा

भारत ने इस फैसले के खिलाफ आईसीजे में अपील की थी और आईसीजे ने फैसला भारत के पक्ष में दिया था. लेकिन इस मामले में अब सबसे बड़ी अड़चन इस सवाल पर है कि जाधव का वकील कौन होगा. भारत की काफी समय से यह मांग है कि एक भारतीय वकील को जाधव का केस लड़ने की इजाजत दी जाए, लेकिन पाकिस्तान सरकार का कहना है कि पाकिस्तान के कानून के तहत किसी विदेशी नागरिक को किसी भी पाकिस्तानी अदालत में जिरह करने की अनुमति नहीं है.

भारत ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि क्वींस काउंसिल यानी इंग्लैंड की महारानी का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता को जाधव के पक्ष में दलीलें पेश करने की इजाजत दी जाए. यूके और कुछ कॉमनवेल्थ देशों में यूके की राजशाही की तरफ से कुछ जाने माने वकीलों को क्वींस काउंसिल नियुक्त किया जाता है, जो कॉमनवेल्थ देशों की अदालतों में राजशाही का प्रतिनिधित्व करते हैं. हालांकि पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव पर अभी तक कुछ नहीं कहा है.

दिलचस्प यह है कि एक तरफ इस मामले में भारत पाकिस्तान पर लगातार सहयोग ना करने का आरोप लगाता आया है, लेकिन दूसरी तरफ यह नया बिल लाने के लिए पाकिस्तान सरकार को विपक्ष की आलोचना झेलनी पड़ रही है.पाकिस्तानी मीडिया में कहा गया है कि नेशनल असेंबली में बिल के पारित होने पर विपक्ष ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ नारे लगाए और उन पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ती निभाने के लिए पाकिस्तान के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाया गया. देखना होगा कि भारत इस बिल के पारित होने पर क्या प्रतिक्रिया देता है और जाधव का मामला क्या मोड़ लेता है.

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