"पहली हार की खुन्नस निकाल रहा है पाकिस्तान"
२८ अगस्त २०१०आडवाणी ने कहा, "आज का परोक्ष युद्ध और पथराव, भारत के खिलाफ युद्ध जीतने में पाकिस्तान की नाकामी का नतीजा हैं. 1947 के हमले की प्रकृति बदल गई है लेकिन युद्ध अब भी जारी है." नई दिल्ली में "कश्मीर समस्या का समाधान" विषय पर सेमीनार में बीजेपी संसदीय दल के अध्यक्ष आडवाणी ने कहा कि गड़बड़ी फैलाने वालों की रणनीति सुरक्षा बलों को निशाना बनाते समय पत्थर के साथ गोलियां इस्तेमाल करना है. उन्होंने कहा कि समस्या के समाधान के लिए कुछ कड़े कदम उठाने ही होंगे.
पूर्व उप प्रधानमंत्री ने कहा, "कश्मीरी प्रदर्शनकारियों की भीड़ में उग्रवादी तत्व भी मौजूद रहते हैं. इस बात की अधिकारिक तौर पर पुष्टि हुई जिससे पता चलता है कि सीमा पार से भी लोग इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं." उन्होंने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि उसने 1947-48 में युद्ध को जीतने का मौका गंवा दिया. उनका दावा है कि उस वक्त की सरकार ने सेना के आगे बढ़ने के विरुद्ध फैसला किया जबकि सेना पाकिस्तान के बहुत से इलाके वापस ले चुकी थी. एक किताब का हवाला देते हुए आडवाणी ने कहा कि पहले कांग्रेस धारा 370 के विरुद्ध थी जिसके तहत जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है. वह कहते हैं, "धारा 370 का मुद्दा संविधान सभा के सामने रखा जाना था, लेकिन प्रधानमंत्री (जवाहर लाल नेहरु) विदेश यात्रा पर निकल गए और (अपने मंत्रिमंडल के सहयोगी) गोपालस्वामी से कहा कि इस बारे में जरूरी कदम उठाएं. फिर सरदार पटेल के सुझाव पर उन्होंने संविधान सभा के सामने जाने से पहले इसे कांग्रेस की मंजूरी के लिए आगे बढ़ाया. कांग्रेस तैयार नहीं थी. लेकिन सरदार पटेल ने कांग्रेस से इसे मंजूर करने को कहा क्योंकि प्रधानमंत्री ऐसा चाहते थे."
आडवाणी कहते है कि जो कुछ 1947 में शुरू हुआ, आज उसका चेहरा मोहरा बिल्कुल बदल गया है. उनका दावा है, "परोक्ष युद्ध के साधन के तौर पर आतंकवाद का इस्तेमाल करने के बाद राज्य में उन्माद फैलाया जा रहा है जिसमें महिला और बच्चे भी शामिल हो रहे हैं. नतीजे में सुरक्षा बलों को गोली चलाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है." बीजेपी नेता ने इन सुझावों का समर्थन किया कि सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग नहीं करना चाहिए. अगर सुरक्षा बलों को गोली चलाने के लिए मजबूर होना पड़े, तो ध्यान रखे इसमें लोगों की जान न जाए.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन