पढ़ाई के लिये स्कूल जाना है जरूरी?
१४ मार्च २०१७अमेरिका में रहने वाली एमिली बार्डले के बड़े बेटे को फ्रेंच पढ़ाने के लिये एक टीचर घर पर आता है और इनकी बेटी भी गणित का गुणा-भाग किचन में बैठकर सीखती नजर आती है. एमिली के चार बच्चे हैं और इनमें से किसी ने भी स्कूल में पढ़ाई नहीं की है. अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर एमिली की योजना उन्हें घर में ही पढ़ाने की है. अमेरिका में ऐसे ही तकरीबन करीब 18 लाख बच्चे आज स्कूल नहीं जाते और घरों में ही पढ़ते हैं. ट्रंप सरकार के शिक्षा मंत्री बेट्सी डेवोस देश में वैकल्पिक शिक्षा पद्धति के पक्षधर रहे हैं. एमिली कहती हैं कि वह नये राष्ट्रपति की फैन नहीं हैं लेकिन वह शिक्षा मंत्री बेट्स की नीतियों का समर्थन करती हैं. एमिली अमेरिकी शिक्षा पद्धति को बहुत अच्छा नहीं मानती और उन्हें लगता है कि वे इससे बेहतर ढंग से अपने बच्चों को घर पर ही पढ़ा सकती हैं. इनके बच्चों ने हाल में ही 20 अन्य परिवारों के ऐसे ही बच्चों के साथ वॉशिंगटन में एक कोर्स किया था.
इसके पहले भी तमाम परिवार यह शिक्षा पद्धति कई धार्मिक कारणों की वजह से अपनाते रहे हैं लेकिन आज जनसंख्या भी इसका एक बड़ा कारण बन गया है. कुछ परिवारों को उनके सामने मौजूद स्कूल के विकल्प रास नहीं आते और वे स्कूल की बजाए घर में शिक्षा देने को तरजीह देते हैं.
हालांकि आलोचकों का मानना है कि इस तरह से बच्चे शिक्षा चक्र को समझ नहीं पाते और वे इससे छूट सकते हैं. कुछ परिवार तो हिंसा या शोषण के डर से अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते.
इनवेस्टिगेटिव वेबसाइट प्रोपब्लिका के मुताबिक अमेरिका में आधे से भी कम राज्यों में घर में पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिये टेस्ट देना अनिवार्य है. तकरीबन एक तिहाई बच्चों को विशिष्ट विषयों को पढ़ाने की आवश्यकता नहीं महसूस होती और इनमें भी कई जगह तो मां-बाप पर जिम्मेदारी सुनिश्चित करने का कोई दबाव भी नहीं है.
इंडियाना यूनिवर्सिटी में शिक्षा नीति के विश्लेषक क्रिस्टोफर लुबेन्सिकी इस स्तर पर शिक्षा के विनियमन को चिंताजनक मानते हैं. क्रिस्टोफर के मुताबिक, बच्चों को लेकर बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा मैं यह भी नहीं मानता कि होमस्कूलिंग जैसे विकल्प को बंद कर देना चाहिये. लेकिन यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी हमारी है कि मां-बाप अपने बच्चों के साथ सही करें.
कंपास होमस्कूल प्रोग्राम के तहत चल रहीं कक्षाओं में परिवारों को इस तरह की चिंताओं के बारे में बताया जाता है. इनमें से पहला है कि ये तरीका बच्चों को समाज के साथ घुलने-मिलने से रोकता है साथ ही बड़े बच्चों को विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र की विशिष्ट पढ़ाई की आवश्यकता होती है.
चार से 18 साल के बच्चों को अब विशेषज्ञों द्वारा विदेशी भाषाओं, रसायन शास्त्र, शतरंज और एक्टिंग की पढ़ाई कराया जाता है. सरकारी स्कूलों में सालों से स्पीच थैरेपी की पढ़ाई करा रहे 47 वर्षीय क्रिस्टीन याशको कहती हैं कि हम ऐसे शिक्षकों को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें बढ़ावा भी देते हैं लेकिन मेरा मानना है कि हम एक अधिक बेहतर माहौल दे सकते हैं.
होमस्कूल पर विश्वास करने वाले परिवार भी सरकारी स्कूलों और अपने इलाके में कर का भुगतान करते हैं. याशको कहती हैं कि ये मसला विवाद का विषय भी है लेकिन हम इसमें योगदान कर के खुश हैं क्योंकि हम अपने चारों ओर पढ़े-लिखे लोग देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा मुझे अब भी नहीं लगता कि होमस्कूलिंग एक बेहतर विकल्प हो सकता है. एमिली भी कहती हैं कि शायद सभी परिवारों के लिये यह विकल्प उपयुक्त ना हो लेकिन उनके जैसे लोगों के लिये यह संभव है. हालांकि ज्यादातर होमस्कूलर्स श्वेत मूल के लोग हैं और गरीबी रेखा से ऊपर हैं. हाल के वर्षों में अन्य मूल के परिवारों ने भी यह धारणा अपनाई है. एमिली इस व्यवस्था की आलोचनाओं को स्वीकार करती हैं लेकिन वे इसे अपनी आजादी से जुड़ा विषय भी मानती हैं.
एए/आरपी (एएफपी)