कर्ज में धकेलता पैसे देकर क्वारंटीन का सिस्टम
२३ जुलाई २०२०कोरोना काल में खाड़ी देशों से आने वाले प्रवासियों को क्वारंटीन केंद्रों में रखा जा रहा है और इसके लिए उनसे रकम भी वसूली जा रही है. अधिकार कार्यकर्ताओं और खाड़ी देशों से लौटने वाले श्रमिकों का कहना है कि इस वजह से वह और अधिक कर्ज में डूब जाएंगे और उनके गरीब होने का खतरा बढ़ जाएगा. भारत सरकार ने मई में वंदे भारत मिशन के तहत विदेशों में नौकरी गंवा चुके और महामारी के बीच फंसे हुए भारतीयों को स्वदेश लाने के मिशन की शुरूआत की थी. कोरोना वायरस के कारण विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने का काम अब भी जारी है.
वंदे भारत मिशन और ऑपरेशन समुद्र सेतु के तहत लोगों को भारत सरकार देश वापस ला रही है. विदेशों से जिन लोगों को भारत लाया जाता है उन्हें होटल, कॉलेज हॉस्टल या खाली घरों में एक हफ्ते के लिए क्वारंटीन किया जाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर लोग संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर, ओमान और सऊदी अरब से लौटे हैं. दक्षिणी राज्य तेलंगाना इस तरह से आने वाले लोगों को होटल में एक हफ्ते के लिए क्वारंटीन करने के बदले कम से कम 8,000 रुपये वसूल रहा है. ऐसे में खाड़ी देशों में नौकरी छूट जाने के बाद देश लौटने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों की चिंता बढ़ गई है.
खाड़ी देशों से लौटने वाले श्रमिकों के सिर पर पहले से ही कर्ज का बड़ा बोझ है, उनके पास कम बचत है और यहां रोजगार की संभावना कम है. कतर में बतौर सिक्युरिटी गार्ड काम करने वाले महेंद्र दीपकोंडा की मार्च महीने में नौकरी चली गई और वह बताते हैं कि उन्हें मई में घर वापस लौटने के लिए एक और कर्ज लेना पड़ा.
दीपकोंडा कहते हैं, "कर्ज लौटाने का चक्र टूट गया है. मेरा बकाया कर्ज तीन गुना बढ़ गया है." दीपकोंडा को मई में दो हफ्ते के लिए होटल में क्वारंटीन के लिए 15,000 देने पड़े थे. सरकार के दिशा निर्देश के बाद तेलंगाना ने अब क्वारंटीन की अवधि और फीस घटा दी है. दीपकोंडा ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "मैं अपने गांव के खेत में मजदूरी कर रोजाना 500 रुपये कमाता हूं. मुझे नहीं पता कि मैं कब इस लोन को चुका पाऊंगा."
तेलंगाना में विदेश से लौटने वाले लोगों के मामलों को देखने वाले अफसर अरविंदर सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के मुताबिक लोगों से पैसे लिए गए.
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन के मुताबिक खाड़ी देशों में करीब 90 लाख भारतीय प्रवासी काम करते हैं. ज्यादातर लोग कम और अर्ध-कुशल हैं. मई से अब तक पांच लाख से ज्यादा लोग विदेशों से विमानों और पानी के जहाजों के जरिए भारत वापस आ गए हैं. विदेश में फंसे लोगों को निकालने के लिए सरकार के अलावा कंपनियां भी चार्टर्ड फ्लाइट्स का सहारा ले रही हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सभी राज्यों के मुकाबले केरल में सबसे अधिक 1,35,000 लोग केवल यूएई, सऊदी अरब और कतर से लौटे हैं. इसके बावजूद सरकार ने अपने लोगों पर क्वारंटीन फीस नहीं लगाया है. कोविड-19 के लिए केरल के नोडल अधिकारी अमर फेट्टल कहते हैं, "हमने किसी भी समय लोगों से फीस वसूलने के बारे में विचार नहीं किया...वे विदेश से जरूर आ रहे थे, लेकिन वे गरीब हैं और उनकी नौकरी चली गई है."
श्रमिक संगठनों का अनुमान है कि मई से अब तक करीब 10,000 प्रवासी खाड़ी देशों से तेलंगाना लौटे हैं. संगठनों की मांग है कि तेलंगाना भी केरल मॉडल का पालन करे. गल्फ वर्कर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी के गुगिल्ला रवि गौड़ कहते हैं, "इस समय में सरकार को गरीबों के बारे में सोचना चाहिए लेकिन वह पैसे मांग रही है."
एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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