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नेताओं ने खाई सादी शादियों की कसम

१७ मार्च २०११

नेताओं को शादियों में बुलाना तो शान की बात समझी जाती है. जिसकी शादी में जितने ज्यादा सांसद आएं वह उतना बड़ा आदमी हो जाता है. जो सांसद नहीं बुला पाते वे विधायकजी से ही काम चला लेते हैं. लेकिन नेताओं के सुर बदल रहे हैं.

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खूब चर्चा में रहती हैं हस्तियों की शादियांतस्वीर: AP

दिल्ली की गद्दी पर बैठे कुछ नेताओं ने बेहद भड़कीली शादियों की आलोचना की है, जिन्हें शानदार बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जाता है. नेताओं को इन शादियों में बर्बाद होने वाले खाने से भी दिक्कत है और इनकी वजह से होने वाली ट्रैफिक की समस्याओं से भी.

Die Ministerpräsidentin von Delhi Sheila Dikshit
शीला दीक्षिततस्वीर: UNI

दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के विधायकों ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित करके सादी, साधारण शादियां करने कराने की कसम खाई है. हाल ही में पार्टी के ही एक सदस्य ने अपने बेटे की ऐसी भव्य शादी की कि उसकी भव्यता की जमकर आलोचना हुई. उस शादी के कार्यक्रम कई दिनों तक चले और अनुमान लगाया गया कि इसमें चार करोड़ रुपये से ज्यादा फूंके गए.

कांग्रेस ने एक बयान जारी कर ऐसी शादियों पर चिंता जताई है. बयान में कहा गया है, "शादी जैसे सामाजिक कार्यक्रमों में पैसे की बर्बादी चिंता की बात है. यह चलन आम आदमी की जिंदगी पर दबाव बढ़ा रहा है."

भारत की शादियां यूं भी अपनी भव्यता, हल्ले गुल्ले, कई तरह के खाने, साज सज्जा और बैंड बाजे के लिए जानी जाती हैं. लेकिन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का कहना है कि शहर में ये पारावारिक उत्सव हाथ से निकलते जा रहे हैं. उन्होंने कहा, "आदमी शादी के फंक्शन में तो आधा घंटा ही रहता है लेकिन वहां तक पहुंचने में उसे चार घंटे लग जाते हैं क्योंकि शादी के टेंट कई बार तो सड़कों पर भी फैले होते हैं. इससे न तो पार्किंग मिलती है और ट्रैफिक बंद होता है सो अलग."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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