नानी से तुलना हो तो गर्व होता हैः राइमा
२० अप्रैल २०१३डीबल्यू ने कोलकाता में राइमा सेन से बातचीत की उसके प्रमुख अंशः
आपके चेहरे और अभिनय की तुलना अक्सर आपकी नानी सुचित्रा सेन से की जाती है. कैसा लगता है ?
जब लोग नानी के साथ मेरी तुलना करते हैं तो मुझे गर्व होता है. नौकाडूबी में मेरे अभिनय के बाद लोग कहते थे कि मेरा अभिनय उनको मेरी नानी की याद दिलाता है. मेरे लिए इससे बड़ी बात कुछ और नहीं हो सकती.
क्या आप अपनी फिल्मों के बारे में नानी से सलाह लेती हैं ?
मैंने आज तक किसी खास किरदार के बारे में नानी से सलाह नहीं ली है. मैं उनसे आम तौर पर फिल्मों, पटकथा और उसमें अपनी भूमिका के बारे में चर्चा करती हूं. जरूरी हुआ तो वह अपनी सलाह देती हैं. वह टीवी नहीं देखतीं. इसलिए उन्होंने अब तक मेरी कोई फिल्म नहीं देखी है.
आपकी छवि हमेशा लीक से हट कर भूमिकाएं करने वाली अभिनेत्री की बन गई है. क्या इससे कोई परेशानी होती है ?
नहीं, उल्टे मैं अपनी इस छवि से खुश हूं. चोखेर बाली और नौकाडूबी जैसी फिल्मों का मेरी इस छवि में काफी योगदान है. मैं चाहती हूं कि लोग मुझे बढ़िया सिनेमा के साथ जोड़ कर पहचानें, सिर्फ कला फिल्मों के साथ नहीं. इसी छवि की वजह से मुझे उद्योग के कुछ बेहतरीन निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला है. इसलिए मुझे अपनी छवि से कोई शिकायत नहीं है.
आपको कैसी भूमिकाएं पसंद हैं ?
मुझे हर तरह की भूमिकाएं पसंद हैं. लेकिन मेरी सबसे बड़ी ख्वाहिश पीरियड फिल्मों में काम करना है. अगर किसी ऐसी फिल्म का रीमेक बने तो मुझे उसमें काम करने में खुशी होगी.
बालीवुड की नई हीरोइनें आजकल कामयाबी के लिए जिस्म प्रदर्शन से भी गुरेज नहीं कर रही हैं. आपकी क्या राय है ?
मुझे इसमें कोई खराबी नहीं नजर आती. बेहतर पटकथा मिले और कहानी की मांग हो तो मैं भी बिकनी पहनने के लिए तैयार हूं. लेकिन मुझे अब तक ऐसी कोई भूमिका ही नहीं मिली. हां, बेवजह जिस्म प्रदर्शन मुझे पसंद नहीं है. मेरी राय में महज बिकनी पहनने से आपकी भूमिका ग्लैमरस नहीं हो जाती.
आपके पसंदीदा निर्देशक कौन हैं ?
मणिरत्नम और ऋतुपर्णो घोष. ऋतुपर्णो दा ने ही मेरी अभिनय प्रतिभा को तराश कर चोखेर बाली, अंतरमहल, खेला, नौकाडूबी और चित्रांदगा जैसी फिल्मों में मुझसे बेहतर अभिनय कारया है. उन्होंने मेरी कमजोरियों को मेरी ताकत में बदल दिया है. जीवन में अगर कभी मौका मिला तो मणिरत्नम के निर्देशन में काम करना चाहूंगी.
फिल्मों का चयन कैसी करती हैं ?
मैं किसी दौड़ में विश्वास नहीं करती. वही फिल्म चुनती हूं जिसकी कहानी दिल को भा जाए. मुझे कलात्मक और लीक से हट कर भूमिकाओं के ऑफर ही ज्यादा मिलते हैं. उनमें से ही बेहतर को चुनती हूं.
आगे क्या योजना है ?
फिलहाल तो विनय पाठक की नो रूल्स फॉर फूल्स का काम चल रहा है. इसमें मेरे किरदार के कई पहलू हैं. मुझे भरोसा है कि लोगों को मेरा अभिनय पसंद आएगा. इसके अलावा बांग्ला की भी कई फिल्में हैं.
प्रभाकर, कोलकाता