नागरिकों की हत्या से नाराज भारत
२६ मार्च २०१३घटना के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने भारत से माफी मांगी है. भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बताया कि उन्हें यह संदेश मिल गया है और फ्रांस ने इस बात का भरोसा दिलाया है कि इस घटना की मुकम्मल तफ्तीश की जाएगी. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "प्रधानमंत्री ने निर्दोष लोगों की जान जाने की घटना को लेकर गहरी संवेदना व्यक्त की है."
बयान में कहा गया है, "उन्होंने निर्देश दिया है कि केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य में रह रहे 100 भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए." फ्रांसीसी सेना का कहना है कि राजधानी बंगुई में जब तीन गाड़ियां उनकी तरफ बढ़ रही थीं, तो उन्हें चेतावनी दी गई. लेकिन इसके बाद भी वे नहीं रुके. फिर उन पर गोली चला दी गई. इसमें कहा गया है कि स्थिति अजीब हो गई क्योंकि कहीं से फ्रांसीसी सैनिकों पर भी गोलियां चलीं जिसके बाद उन्हें जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. इस घटना में एक और भारतीय घायल हुआ है.
केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य राजनैतिक और सैनिक गतिरोध से जूझ रहा है. राजधानी बंगुई पर देश के विद्रोहियों ने कब्जा जमा लिया है. इसके बाद फ्रांस ने वहां अपने 300 सैनिकों को तैनात कर दिया है. अफ्रीकी संघ ने इस देश की मान्यता निलंबित कर दी है और विद्रोहियों पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं. इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा से जारी एक बयान में संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ से भी अपील की गई है कि वे भी विद्रोहियों को किसी तरह की मान्यता न दें.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून, अमेरिका और फ्रांस ने इस बदलाव के खिलाफ आवाज उठाई है. केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य पहले फ्रांस का उपनिवेश था. वहां बड़ी संख्या में फ्रांसीसी नागरिक रहते हैं और फ्रांस का कहना है कि उसे अपने नागरिकों की चिंता है. विद्रोही नेता माइकल जोटोडिया ने खुद को नया राष्ट्रपति घोषित कर दिया है और वादा किया है कि देश में तीन साल के अंदर लोकतांत्रिक चुनाव कराए जाएंगे. पूर्व मानवाधिकार कार्यकर्ता और देश के मौजूदा प्रधानमंत्री निकोलस टियानगाये से अपने पद पर बने रहने को कहा गया है.
सोने, हीरे और यूरेनियम जैसे खनिजों से भरे इस देश में कई महीनों से अस्थिरता है और यह अफ्रीका के सबसे गरीब राष्ट्रों में शामिल है. आसपास के देश भी इस समस्या में शामिल हो गए हैं. पिछले हफ्ते के आखिरी दिनों में यहां हुई हिंसा में दक्षिण अफ्रीका के 13 सैनिक मारे गए. वह दक्षिण अफ्रीके के सैकड़ों सैनिक तैनात हैं.
इस हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता की वजह से आम लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए ने राजधानी के एक निवासी के हवाले से रिपोर्ट दी है कि बिजली और पानी की सप्लाई लगातार कट रही है. फोन लाइनें बंद हो चुकी हैं और सड़कों पर सिर्फ विद्रोहियों की गाड़ियां दिख रही हैं.
एजेए/एमजी (एएफपी, डीपीए)