"देशमुख का सरकार में बने रहना शर्मनाक"
६ फ़रवरी २०११शनिवार को मुंबई में एक सेमिनार के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज एके गांगुली ने कहा, "यह बहुत ही दुख की है बात है कि ऐसे मंत्री कैसे सरकार में रह सकते हैं. इतना ही नहीं उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद भी दिया जाता है. यह अच्छी बात नहीं है. मैं इसे शर्मनाक कदम कहूंगा."
इससे पहले जस्टिस गांगुली और जस्टिस जीएस सिंघवी ने कांग्रेस विधायक से बचाने के लिए देशमुख की आलोचना की. देशमुख पर आरोप है कि उन्होंने मुंख्यमंत्री रहते हुए एक विधायक के परिवार को बचाया जिसके खिलाफ गरीब किसानों ने कर्ज से जुड़ी शिकायत दर्ज कराई.
जस्टिस गांगुली ने रविवार को कहा, "अब मुझे कुछ नहीं कहना है. मुझे जो कहना था मैंने कह दिया है और मैं इससे इनकार नहीं कर रहा हूं."
पहले केंद्र सरकार में भारी उद्योग मंत्री रहे देशमुख को हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया है. कर्ज देने वालों के हाथों गरीब किसानों के शोषण के सिलसिले में जस्टिस गांगुली का यह बयान सामने आया है. उनका इशारा उस मामले की तरफ है जब मुख्यमंत्री रहते देशमुख ने एक विधायक समेत कर्ज देने वालों को पुलिस की कार्रवाई से बचाया.
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर को अपने फैसले में देशमुख के कदम को बड़ी गलती और बेतुका बताया. साथ ही महाराष्ट्र सराकार पर बॉम्बे हाई कोर्ट की तरफ से लगाए गए 25 हजार के जुर्माने को बढ़ा कर 10 लाख कर दिया गया. अदालत ने कहा कि देशमुख का कदम निंदनीय है क्योंकि उन्होंने राजनीति उद्देश्यों की खातिर सभी कानूनी नियमों को ताख पर रख दिया.
ऐसा तब किया गया जब महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में कर्ज में डूबे किसान अकसर आत्महत्या करते रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश इस कदर बेतुके और बेमतलब थे कि उनसे वे बहुत ही व्यथित हैं. इसकी तो निंदा ही की जा सकती है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़