दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
फिल्म "सिलसिला" का मशहूर गाना "देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए" यहीं शूट हुआ था. और जैसे कि गाने के बोल हैं, यहां वाकई दूर दूर तक निगाह में गुल खिले हुए दिखते हैं.
रोमांटिक नजारा
यश चोपड़ा ने 1981 में इसी जगह पर रेखा और अमिताभ के साथ गाने की शूटिंग की थी. आज 35 साल बाद भी यह जगह उतनी ही रोमांटिक लगती है. नीदरलैंड्स के कॉएकेनहोफ गार्डन में ट्यूलिप की 4,000 से भी ज्यादा किस्में मौजूद हैं.
कुछ ही दिन के लिए
फूलों का यह अद्भुत नजारा पूरे साल देखने को नहीं मिलता, बल्कि दो महीने से भी कम वक्त के लिए यह गार्डन खुलता है, मार्च से मई के बीच. सिर्फ फूलों के रंग ही नहीं, फिजा में उनकी खुशबू भी फैली होती है.
किचन गार्डन
डच भाषा के शब्द कॉएकेनहोफ का मतलब है किचन गार्डन. 1641 में जब इस जगह पर किला बना, तो इसी बगीचे में खाने का सामान उगाया जाता था. वक्त के साथ साथ इसका स्वरूप बदलता गया.
लाखों फूल
32 हेक्टेयर में फैले इस गार्डन में 70 लाख फूल खिलते हैं, जिन्हें देखने के लिए हर साल करीब 80 हजार लोग यहां पहुंचते हैं. कमाल की बात यह है कि ट्यूलिप यूरोप के फूल हैं ही नहीं. इन्हें मध्य पूर्व और एशिया से लाया गया था.
कहां से आए ट्यूलिप
400 साल पहले ओगीर घिसेलिन दे बुसबेक पहुंचे कांस्टेंटिनोपल, जिसे आज इस्तांबुल कहा जाता है. वे उस्मानी राजवंश में ऑस्ट्रियाई साम्राज्य के दूत बन कर पहुंचे थे. उन्होंने सुलतान के बगीचे में फारस से लाए गए ट्यूलिप देखे और उसके बीज वियना भिजवाए.
फूल का सफर
वनस्पति विज्ञानी चार्ल्स देलएक्ल्यूज वियना के मेडिकल गार्डन में ट्यूलिप उगाने लगे. 1593 में जब वे नीदरलैंड्स की लाइडन यूनिवर्सिटी में पढ़ाने गए, तो रिसर्च के लिए अपने साथ कुछ ट्यूलिप भी ले गए. माना जाता है कि उनके फूल चोरी हुए और देश भर में फैल गए.
बेहद महंगे
ट्यूलिप्स को ले कर शाही घरानों में ऐसी दीवानगी थी कि एक फूल के लिए 10,000 गिल्डर (उस समय की मुद्रा) तक दिए जाते थे. इतनी राशि में उस जमाने में शहर में एक घर खरीदा जा सकता था. यह दाम सफेद धारियों वाले एक खास तरह के ट्यूलिप का था, जो अब विलुप्त हो चुका है.
भारत में भी
श्रीनगर का इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन भी कॉएकेनहोफ से कम नहीं है. 12 हेक्टेयर में फैला यह एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है. रंग बिरंगे फूलों के साथ डल झील का नजारा दिल को छू लेने वाला होता है.