दुनिया की सबसे तेज ट्रेनें
पहली बार कोई ट्रेन 600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चली है. इस ऐतिहासिक गति को छूने वाली रेल है सेंट्रल जापान रेलवे की मैग्लेव ट्रेन. एक नजर दुनिया की तीव्रतम ट्रेनों पर.
हवा में तैरती
मैग्लेव का मतलब है - मैग्नेटिक लैविटेशन. यह एक भौतिक सिद्धांत है जिसके अनुसार सुपरकंडक्टर के इस्तेमाल से किसी वस्तु को हवा में अटकाया जा सकता है. इसी पर आधारित यह ट्रेन जब चलती है तो हवा में तैरते रहने के कारण इसके तल और पटरियों के बीच घर्षण नहीं होता और ना ही कोई टूट फूट.
ट्रेन में प्लेन का मजा
मैग्लेव की सवारी करने वाले इसके अनुभव को हवाई जहाज में उड़ने जैसा बताते हैं. अप्रैल 2015 में सफल टेस्ट राइड से डेवेलपर्स का आत्मविश्वास बढ़ा है. जनता के लिए पहली सार्वजनिक लाइन 2027 में राजधानी टोक्यो और नागोया शहर के बीच शुरु करने की योजना है. इसकी अधिकतम गति 500 किलोमीटर प्रति घंटा होगी.
एयरपोर्ट तक भी उड़ते हुए
शंघाई की ट्रांसरैपिड फिलहाल दुनिया की सबसे तेज ट्रेन सेवा है. यह भी जापानी ट्रेन की तरह मैग्नेटिक लैविटेशन के सिद्धांत पर ही चलती है और 430 किमी/घंटा की गति तक पहुंचती है. शंघाई शहर के केन्द्र से एयरपोर्ट तक की 30 किलोमीटर की दूरी केवल आठ मिनट में पूरी होती है.
फ्रांस को नाज है इस पर
पारंपरिक पहिए वाली ट्रेनों में से सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है फ्रांस की टीजीवी. साल 2007 में ही इसने अधिकतम 574 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार को छू लिया था. उस समय सबसे तेज गति के इस विश्व रिकॉर्ड को बनाने के लिए खास मोटरों का इतेमाल किया गया. सामान्य तौर पर इसकी गति 320 किमी/घंटा से ज्यादा नहीं रखी जाती.
बीजिंग से शंघाई तक
टीजीवी की ही तरह चीन की तेज ट्रेन हार्मनी सीआरएच 380ए भी कई मोटराइज्ड ईकाईयों का इस्तेमाल करती है. 2010 में हुए इसके ट्रायल रन में बीजिंग और शंघाई के बीच की दूरी 486 किमी/घंटा की गति से तय हुई थी. जनसाधारण के लिए इसी रूट पर यह ट्रेन अधिकतम 380 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती है.
बिजली सी तेजी जर्मनी में
1988 में जर्मनी की आईसीई ट्रेन ने हनोवर और वुर्त्सबुर्ग के बीच की दूरी 406.9 किमी/घंटा की अधिकतम गति से तय की. आमतौर पर इसकी अधिकतम रफ्तार 250 किलोमीटर प्रति घंटे रखी जाती है ताकि रखरखाव पर खर्च ज्यादा न पड़े.