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"दुनिया की खुशकिस्मती कि मनमोहन पीएम हैं"

१७ मई २०११

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का कहना है कि यह दुनिया की खुशकिस्मती है कि मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने उकसावे के बावजूद पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर निजी जोखिम उठा कर टकराव टाला है.

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epa02728483 Indian Prime Minister Manmohan Singh as he arrives at the Kabul International Airport in Afghanistan, on 12 May 2011. Indian Prime Minister Manmohan Singh arrived Thursday in Kabul to discuss security, terrorism and regional development with Afghan authorities, officials said. EPA/S. SABAWOON
तस्वीर: picture alliance / dpa

जेम्स जोन्स का यह भी कहना है कि अगर कोई और आतंकवादी हमला हो गया तो भारत का संयम भी जवाब दे सकता है. उन्होंने कहा, "हम भाग्यशाली हैं कि प्रधानमंत्री सिंह ने निजी जोखिम उठा कर यह सुनिश्चित किया है कि भारत और पाकिस्तान की सीमा पर कोई उकसावे वाली कार्रवाई न हो." उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील समय है क्योंकि अगर पाकिस्तान से भारत की जमीन पर एक और हमला हो गया तो उसकी प्रतिक्रिया को रोक पाना मुश्किल होगा. इससे क्षेत्र में बहुत ज्यादा अस्थिरता फैल जाएगी.

जोन्स दो साल तक अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे. उनका कहना है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को अपनी शर्तें साफ साफ बता रखी हैं. उनके मुताबिक, "हमने उन्हें यह बात कई बार बताई है. इसीलिए उम्मीद है कि अब बिन लादेन की खोज पूरी हो गई है और हम ऐसे रिश्तों की बुनियाद रख सकते हैं जो साझा तौर पर हमारी सुरक्षा के लिए अहम हों."

खतरे की तरफ इशारा करते हुए जोन्स कहते हैं, "जोखिम इस बात को लेकर है कि अगर पाकिस्तानी सरजमीन से कोई और हमला हो गया तो फिर किसी भी नेता के लिए आम लोगों की प्रतिक्रिया की अनदेखी करना बहुत मुश्किल होगा. पाकिस्तान की सरकार ने आतंकवादियों की पनाहगाहों को खत्म करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं और वहां से यूरोप, अमेरिका या भारत, किसी भी देश पर हमला हो सकता है."

पाकिस्तान में मौजूदा स्थिति को लेकर जोन्स मंगलवार को सीनेट की विदेश मामलों की समिति के सामने बयान देंगे. वह कहते हैं, "हमें पाकिस्तानियों को यह समझाने की बराबर कोशिश करनी होगी कि मामला कितना संवेदनशील है. अगर हम इस बारे में कोई सहमति चाहते हैं कि पिछले 10 या 20 साल में क्या हुआ क्या नहीं, तो क्यों न इसके परे भी जाया जाए. हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आज क्या हो रहा है और कल क्या होने जा रहा है."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एमजी

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