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दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप खरीदना चाहते हैं ट्रंप

१६ अगस्त २०१९

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने खबर दी है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड को खरीदना चाहते हैं. अभी डेनमार्क ग्रीनलैंड का मालिक है. अमेरिकी राष्ट्रपति जल्द डेनमार्क जाएंगे.

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Satellitenbild von Grönland
तस्वीर: Imago Images/UIG

वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने अपने स्टाफ से कहा है कि वह ग्रीनलैंड को खरीदने की संभावनाओं को तलाशें. उन्होंने कई बार अपने सलाहकारों से पूछा है कि क्या अमेरिका दुनिया के इस सबसे बड़े द्वीप को खरीद सकता है. ग्रीनलैंड का तीन चौथाई हिस्सा हमेशा बर्फ की चादर में लिपटा रहता है.

राष्ट्रपति ट्रंप सितंबर की शुरुआत में डेनमार्क का दौरा करने वाले हैं. हालांकि इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि ग्रीनलैंड को खरीदने का मुद्दा डेनमार्क के अधिकारियों से उनकी बातचीत के एंजेंडे में होगा.

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वॉल स्ट्रीट जनरल का कहना है कि डेनमार्क को खरीदने के मुद्दे पर ट्रंप की गंभीरता कम या ज्यादा दिखती रही है, लेकिन इस बारे में वह बात करते रहे हैं. अमेरिकी अखबार को नाम ना जाहिर करने की शर्त पर राष्ट्रपति के एक सलाहकार ने बताया कि ग्रीनलैंड के प्राकृतिक संसाधनों और उसकी भूराजनैतिक महत्ता को देखते हुए उसमें अमेरिका की दिलचस्पी है. ग्रीनलैंड अभी डेनमार्क का एक स्वायत्त क्षेत्र है.

अखबार कहता है कि संभव है कि अमेरिकी राष्ट्रपति आर्कटिक क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाना चाहते हों. थुले एयर बेस इस समय अमेरिका का सबसे उत्तरी सैन्य ठिकाना है. समाचार एजेंसी एपी ने भी ट्रंप के एक गुमनाम सहयोगी का हवाला देते हुए लिखा है कि ट्रंप ने इस बारे में बात की है लेकिन वह इस पर गंभीर नहीं हैं.

यह पहला मौका नहीं है जब कोई अमेरिकी नेता ग्रीनलैंड को खरीदने की बात कर रहा है. इससे पहले 1946 में अमेरिका ने डेनमार्क के सामने प्रस्ताव रखा था कि वह 10 करोड़ डॉलर में ग्रीनलैंड को बेच दे. इसके बदले अलास्का में जमीन देने की बात भी उस वक्त चली थी.

उत्तरी अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के बीच स्थित ग्रीनलैंड मुख्य रूप से स्वशासित इलाका है. डेनमार्क सिर्फ वहां की विदेश नीति, रक्षा और मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है. बीस लाख वर्ग किलोमीटर में फैले ग्रीनलैंड में सिर्फ 57 हजार लोग रहते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग स्थानीय इनूट समुदाय से संबंध रखते हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रीनलैंड जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को झेल रहा है. इसकी तीन किलोमीटर मोटी बर्फ की चादर पिघल रही है. इससे एक दिन दुनिया के तटीय इलाकों के डूबने का खतरा है. जुलाई के महीने में वहां अभूतपूर्व रूप से बर्फ की चादर पिघली, जब 12 अरब टन बर्फ समंदर में तैरती दिखाई दी.

एके/एनआर (एपी, डीपीए)

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