दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की किल्लत
२३ जनवरी २०१९दिल्ली में कई अस्पतालों में रिटायरमेंट के बाद भी लगभग 70 वर्ष की आयु सीमा तक डॉक्टर कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर प्रैक्टिस करते हैं हालांकि सरकारी अस्पतालों में ऐसी कोई व्यवस्था ना होने के चलते आज यहां 30 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है.
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक आधिकारी ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि 4,644 डॉक्टरों की भर्ती के स्थान पर आज भी 1,400 स्थान खाली हैं. ऐसे में इसका नकारात्मक प्रभाव स्वास्थ्य विभाग पर निश्चित तौर पर पड़ रहा है.
यूपीएससी से डॉक्टरों की भर्ती एक लंबी प्रक्रिया है. डॉक्टरों की कमी के बारे में अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर छात्र एमबीबीएस के बाद या तो आगे की पढ़ाई के बारे में सोचते हैं या अच्छी आमदनी के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल जॉइन कर लेते हैं.
नए डॉक्टरों की भर्ती के बारे में एक अन्य स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि यह व्यवस्था काफी जटिल है क्योंकि कुछ जनरल ड्यूटी मेडिकल अफसर होते हैं तो वहीं कुछ नॉन टीचिंग स्पेशलिस्ट होते हैं, कुछ ऐसे भी हैं जो टीचिंग स्पेशलिस्ट हैं. भर्ती की प्रक्रिया जारी है और जल्दी ही ऐसे लोगों को जगह दी जाएगी.
जब इन्हीं सरकारी अस्पतालों में कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर डॉक्टरों की भर्ती के बारे में पूछा गया तो जवाब में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट पर डॉक्टर्स की भर्ती को बीते साल केन्द्र संचालित अस्पतालों द्वारा स्वीकृत किया गया हालांकि राज्य द्वारा जिन अस्पतालों का संचालन किया जाता है उनके यहां डॉक्टर्स की भर्ती का तरीका कुछ हद तक भिन्न होता है.
पिछले साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आदेश जारी किया था कि जब तक कुछ सरकारी संस्थाओं के माध्यम से स्थायी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाता तब तक कॉन्ट्रैक्ट बेसिक पर रिक्त पदों पर डॉक्टरों की भर्ती की जाए. इस महीने यूपीएससी ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अन्तर्गत जरनल ड्यूटी मेडिकल अफसर के पदों की घोषणा की है.
दिल्ली में इन सरकारी अस्पतालों को चलाने में राज्य सरकार के अलावा कुछ अन्य संस्थाओं का भी योगदान है जिनमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, एनडीएमसी और दिल्ली केन्टोंमेंट या छावनी विभाग प्रमुख हैं. इनके अलावा इस कार्य में कुछ अन्य संस्थाओं का भी योगदान है. इन सभी के साथ-साथ निजी क्षेत्र भी अन्य कई एनजीओ के साथ मिलकर मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं.
सोमरीता एवं निवेदिता सिंह/आईएएनएस
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