दर्द से पूजा
दंड नट उत्सव उड़ीसा के बौध जिले में शुरू हुआ माना जाता है. श्रद्धालु इस दौरान नृत्य के देवता शिव की उपासना करते हैं.
गर्म रेत पर प्रायश्चित्त
आदमी खुद को दंड देते हैं ताकि शिव प्रसन्न हो सकें और भक्तों को उनका आशीर्वाद मिले. कुछ इस चाह में पानी में डुबकी लगाते हैं तो कुछ गर्म कोयले पर चलते हैं.
पुरानी परंपरा
इस उत्सव की शुरुआत चौथी सदी में हुई बताई जाती है. पारंपरिक तौर पर सिर्फ पुरुषों को इसमें शामिल होने की अनुमति है. इन्हें भोक्ता कहा जाता है. उत्सव कुल 21 दिन चलता है.
कामना पूर्ति
भारतीय कैलेंडर के चैत्र महीने में फसलों की कटाई के बाद दूसरा सीजन शुरू होता है. श्रद्धालु कामना घट में अपनी इच्छाएं प्रतीकात्मक तौर से रख, उनके पूरा होने की प्रार्थना करते हैं. इसके बाद इस घट को पूरे गांव में घुमाया जाता है.
कलाबाजियां
इस उत्सव में पुरुष तरह तरह की कलाबाजियां दिखाते हैं. तो कुछ सांपों का हार पहनते हैं. तो कुछ शीर्षासन कर आग में लोटते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से शिव उन्हें धन और बच्चे देंगे.
कथा
इस दौरान श्रद्धालुओं को शिव और पार्वती की कहानियां सुनाई जाती हैं ताकि वह रात भर जाग सकें और सुबह सुबह धार्मिक क्रियाएं शुरू कर सकें.
ईश्वर को भेंट
नोटों से बनाई गई यह माला मंदिर में चढ़ाई जाएगी. साथ ही शाकाहारी भोजन और मिठाइयों का भी प्रसाद चढ़ाया जाता है. गांवों को फूलों से सजाया जाता है और लोकगीत गाए बजाए जाते हैं.