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दक्षिण अफ्रीक़ा से भागने लगे प्रवासी

एजेंसियां२२ मई २००८

दक्षिण अफ्रीक़ा में विदेशियों और प्रवासियों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। जोहानिसबर्ग के बाद अब डरबन और दूसरे शहर भी इसकी चपेट में आ गए हैं और पुलिस से मामला संभलता नहीं दिख रहा है। 42 लोग मारे गए हैं।

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दक्षिण अफ्रीक़ा में अशांतितस्वीर: AP

दक्षिण अफ्रीक़ा के बड़े शहरों में सड़कों पर ख़ून ख़राबे के नारे लग रहे हैं। विदेशियों और प्रवासियों पर सरेआम गोलियां बरसाई जा रही हैं। एक भारतीय सहित कई लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई घायल हैं। कम से कम 16,000 लोग बेघर हो गए हैं। विदेशियों ने जान बचाने के लिए अब दक्षिण अफ्रीक़ा छोड़ देना ही बेहतर समझा है। कहते हैं कि रंगभेद के बाद ये दक्षिण अफ्रीक़ा का सबसे बड़ा संकट है। पड़ोसी देशों मोज़ाम्बिक और ज़िम्बाब्वे के कई लोग घर लौटने लगे हैं।

Südafrika Johannesburg Ausländer Rassismus
बेघरों को खाने के लालेतस्वीर: AP

पिछले हफ़्ते जोहानिसबर्ग के अल्केज़ेन्ड्रिया में प्रवासियों पर हमले हुए, जिसके बाद ये दूसरे हिस्सों में फैलते गए। उन पर गोलियां चलाई गईं और संपत्ति लूट ली गई। यहां के लोगों का कहना है कि प्रवासियों की वजह से अपराध बढ़े हैं और उनके रोज़गार ख़त्म हो रहे हैं। अनुमान है कि दक्षिण अफ्रीका में 40 फ़ीसदी लोग बेरोज़गार हैं। जोहानिसबर्ग गाउतेंग प्रांत में है, जिसके मुख्यमंत्री का कहना है कि हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

Südafrika Jagd auf Ausländer aus Simbabwe
नारे लगाते लोगतस्वीर: AP

आस पास के मुल्कों के मुक़ाबले दक्षिण अफ्रीक़ा ज़्यादा समृद्ध है। ज़िम्बाब्वे, मोज़ाम्बिक़ और तंजा़निया जैसे देशों के लोग रोज़गार के लिए यहां आते हैं। पांच करोड़ आबादी वाले दक्षिण अफ्रीक़ा में 50 लाख प्रवासी हैं, जिनमें सबसे ज़्यादा ज़िम्बाब्वे के हैं। लेकिन अब वो हिंसा को देखते हुए अपने देश लौटने लगे हैं। उनका कहना है कि दोनों ही जगह हिंसा का सामना करना है, तो क्यों नहीं अपने घर में। वैसे दक्षिण अफ्रीक़ा सैलानियों को ख़ूब भाता है और उसे 2010 का फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप भी आयोजित करना है। विदेशियों पर हो रहे हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि बुरी तरह ख़राब हुई है और अगर मामला जल्द क़ाबू में नहीं आया, तो वर्ल्ड कप की मेज़बानी पर सवाल उठ सकते हैं।