तुर्की सरकार क्यों लाना चाहती है 'इम्युनिटी बिल'
१८ मई २०१६तुर्की की संसद में दर्जनों कुर्द समर्थक सासंदों ने इस बिल को उन जैसे लोगों पर निशाना साधने और उन्हें संसद से बाहर निकालने का तरीका बताया है. पहले राउंड की वोटिंग में 348 सांसदों ने बिल के समर्थन में मत दिया. कुल 550 सीटों वाली संसद के 155 सांसदों ने इसका विरोध किया. संसद में बहस और वोटिंग के बाद इन नतीजों की घोषणा के साथ ही शुक्रवार को दूसरे चरण की बहस और वोटिंग का रास्ता साफ हो गया. पहले राउंड की बहस के दौरान सांसदों ने दस्तावेजों के आधार पर तर्क करने के बजाए हाथापाई की नौबत पैदा कर दी.
तुर्की कानून में इम्युनिटी बिल के पास होने से सभी दलों से आने वाले ऐसे 138 सदस्यों पर मुकदमा चल सकेगा, जिनके खिलाफ पहले ही सदन के स्पीकर को शिकायत भेजी जा चुकी है. कुर्द समर्थक पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचडीपी) का कहना है कि ये उसके सांसदों को संसद से बाहर करने की कोशिश है. एचडीपी के कुल 59 में से 50 सांसद इस कानून की चपेट में आ सकते हैं क्योंकि उन पर तुर्की शासन के खिलाफ लड़ रहे कुर्द गुटों से जुड़े होने और उन्हें मौखिक समर्थन देने आरोप हैं.
अगर संसद से कुर्द समर्थकों को निकालने में कामयाबी मिल जाती है तो इससे राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोवान को संविधान में बदलाव लाकर वहां राष्ट्रपति शासन स्थापित करने में आसानी होगी. कई महीनों से राष्ट्रपति एर्दोवान और 2014 से उनके प्रधानमंत्री रहे दावुतोग्लू के बीच इस मुद्दे पर मनमुटाव की चर्चा थीं. जब दोनों नेताओं में सहमति नहीं बन पाई तो इसका नतीजा दावुतोग्लू के इस्तीफे के रूप में सामने आया.
सत्ताधारी जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) को इस बिल को शुक्रवार को सदन में पास करवाने के लिए दो तिहाई बहुमत यानि 367 सांसदों का समर्थन चाहिए. एकेपी के अपने 317 सांसद हैं और उन्हें दक्षिणपंथी दल नेशनलिस्ट मूवमेंट पार्टी (एमएचपी) के 40 सांसदों का समर्थन मिलने की उम्मीद है. एमएचपी कुर्दों की कट्टर विरोधी है. संसद में एकेपी के प्रमुख नेता बुलेंट तुरान ने साफ किया है कि यह बिल एचडीपी पर निशाना साधने के लिए नहीं है. उन्होंने कहा, "अगर एकेपी के कुछ लोगों ने भी कुछ गलत किया होगा, तो उनका भी फैसला होगा."
तुर्की संसद में सांसदों की इम्युनिटी का एक इतिहास रहा है. सन 1994 में इम्युनिटी हटाने के तुरंत बाद एचडीपी के तत्कालीन पूर्वज दल डेमोक्रेटिक पार्टी के चार सांसदों को जेल में डाल दिया गया था. सखारोव पुरस्कार विजेता लैला जाना समेत बाकी सांसदों पर प्रतिबंधित कुर्द संगठन पीकेके की सदस्यता का आरोप लगा था.
कुर्द विरोधी बताए जा रहे इस बिल के पास होने से अल्पसंख्यक कुर्दों के सशस्त्र गुट कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी और सरकार के बीच हिंसक मुठभेड़ों में इजाफा हो सकता है. दो साल के सीजफायर के बाद 2015 से दोनों पक्षों के बीच हिंसा बढ़ी है. इसमें अब तक सैकड़ों सैनिकों और आम नागरिकों की मौत हो चुकी है.
आरपी/एमजे (एएफपी,डीपीए)