तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के शक्ति प्रदर्शन के मायने
८ अगस्त २०१६तुर्की प्रशासन मानता है कि जुलाई तख्तापलट की कोशिश के पीछे अमेरिकी धर्म प्रचारक गुलेन का हाथ है. गुलेन के समर्थक होने के संदेह में राष्ट्रपति एर्दोआन के प्रशासन ने अब तक देश के 60,000 से भी अधिक लोगों को निशाना बनाया है. इसमें सेना, शिक्षण और नागरिक सेवाओं से जुड़े तमाम लोग शामिल हैं. इन्हें या तो हिरासत में लिया गया है पदों से हटाया गया है.
तुर्की के उप प्रधानमंत्री ने कहा है कि 10 विदेशी नागरिकों को भी गुलेन से संबद्ध होने के संदेह पर हिरासत में लिया गया है. वहीं अमेरिका में रहने वाले गुलेन ने अपने ऊपर लगाए आरोपों से सरासर इंकार किया है.
राष्ट्रपति एर्दोआन ने रविवार को आयोजित हुई करीब 10 लाख लोगों की रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जुलाई के असफल सैनिक विद्रोह को एक मजबूत तुर्की बनाने की राह का महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाना चाहिए. पश्चिम की आलोचना को दरकिनार करते हुए एर्दोआन ने अपने देश में "लोकतंत्र और शहीदी रैली" में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया. इस मौके पर एर्दोआन ने एक बार फिर जर्मन अधिकारियों की इस बात के लिए आलोचना की उन्हें एक सप्ताह पहले कोलोन शहर में तुर्कों की एक रैली को वीडियो पर संबोधित नहीं करने दिया गया था. उन्होंने सवाल पूछा कि लोकतंत्र कहां है?
यूरोप और पश्चिमी देशों में सैनिक सत्तापहरण की कोशिश के बाद एर्दोआन की कड़ी प्रतिक्रिया और विपक्षियों को निशाना बनाए जाने के सख्त कदमों की निंदा कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि इस अवसर का इस्तेमाल कर राष्ट्रपति एर्दोआन अपने सभी विरोधियों का सफाया करना चाहते हैं. वहीं एर्दोआन समझते हैं कि गुलेन के अभियान ने देश में लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया है और सेना, मीडिया और जनता के साथ मिलकर देश में एक "समानांतर शासन" खड़ा करने की कोशिश की है.
एर्दोआन की सत्ताधारी इस्लामिक एके पार्टी और विपक्ष देश में संवैधानिक बदलाव लाए जाने को लेकर काफी बंटे हुए हैं. इसके अलावा तुर्की सरकार मृत्युदंड जैसी सजा को फिर से बहाल करना चाहती है, जिसका जनता समेत पश्चिमी देश विरोध कर रहे हैं.
आरपी/एमजे (एएफपी)