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तालिबान से बातचीत की कोशिशें तेज

१८ मई २०११

अमेरिका ने तालिबान से सीधी बातचीत की कोशिशें तेज कर दी है. अमेरिकी अधिकारी राष्ट्रपति बराक ओबामा को अफगानिस्तान जंग खत्म करने के लिए हालात में सुधार की रिपोर्ट देना चाहते हैं. जुलाई में फौज की वापसी शुरू करने का भरोसा.

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तस्वीर: DW

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक एक अमेरिकी अधिकारी ने कतर और जर्मनी में कम से कम तीन बैठकें की हैं. इनमें से एक तो 8 या 9 दिन पहले हुई है जिसमें मुल्ला उमर के करीबी तालिबानी नेताओं से बातचीत की गई. अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने वरिष्ठ अफगान अधिकारियों के हवाले से ये खबर दी है.

NO FLASH Taliban legen Waffen nieder
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हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता माइकल ए हैमर ने अफगान अधिकारियों की तरफ से दी गई जानकारी पर प्रतिक्रिया देने से इनकार किया लेकिन इतना जरूर कहा, "अमेरिका के पूरे अफगानिस्तान और इलाके में कई स्तरों पर संपर्क हैं. हम इन संपर्कों के बारे में कोई जानकारी नहीं देने जा रहे हैं."

अखबार का दावा है कि तालिबानी अधिकारियों से बातचीत की प्रक्रिया कई महीने पहले ही शुरू की गई. कई स्तरों पर अलग अलग लोगों से बात की जा रही है जिनमें कुछ गैर सरकारी मध्यस्थों के साथ ही अरब और यूरोपीय देशों की सरकारें शामिल हैं.

Hunderte Taliban entkommen aus Gefängnis FLASH-GALERIE
तस्वीर: AP

तालिबान भी बातचीत का इच्छुक

अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक तालिबान ने अमेरिका के साथ बातचीत के लिए अपनी प्राथमिकताएं बता दी हैं और इसके लिए एक औपचारिक राजनीतिक दफ्तर स्थापित करने के बात कही गई है. ये दफ्तर कहां होगा, इस पर कतर के साथ मिल कर चर्चा की जा रही है. आतंकवादी गुटों के साथ बातचीत की एक कोशिश पिछले साल तब नाकाम हो गई जब गुप्त रूप से नाटो के जरिए काबुल पहुंचा एक कथित तालिबानी नेता धोखेबाज निकला. ओबामा प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, "कोई नहीं चाहता कि ऐसा दोबारा हो."

अफगान सरकार और तालिबानी प्रतिनिधियों के बीच दूसरी शुरुआती बातचीत इसलिए नाकाम हो गई क्योंकि चरमपंथी खुद अपने समूह के लिए प्रतिनिधि चुनने में नाकाम रहे.

हालांकि ओबामा प्रशासन को यकीन है कि जिन लोगों के साथ फिलहाल वो संपर्क में है वो मुल्लाह उमर और पाकिस्तान के क्वेटा में जड़ जमाए बैठी शूरा पर असर डालने में कामयाब होंगे. शूरा तालिबान की कबीला परिषद है. बातचीत से जुड़े कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर ये जानकारी दी. अमेरिकी अधिकारियों के उम्मीद है कि इन वार्ताओं के आधार पर ओबामा प्रशासन ये बताने में कामयाब होगा कि अफगानिस्तान में हालात सुधार की तरफ बढ़ रहे हैं जिससे कि जुलाई में फौज की वापसी के तयशुदा कार्यक्रम पर अमल किया जा सकेगा.

तालिबान के साथ बातचीत की अफवाहों ने करजई सरकार के विरोधियों को उन पर हमला करने का एक मौका दे दिया है. विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि वो अंत में अफगानिस्तान के लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाएंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह