तालिबान को आईएसआई से मदद: रिपोर्ट
१४ जून २०१०यह रिपोर्ट लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स की ओर से तैयार की गई है. दो वरिष्ठ सुरक्षा विश्लेषकों की ओर से तैयार इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान को मदद देना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की आधिकारिक नीति का हिस्सा है.
वैसे आईएसआई और तालिबान चरमपंथियों के बीच सांठगांठ होने का संदेह पहले से ही जताया जाता रहा है लेकिन इस रिपोर्ट से अफगानिस्तान में जारी लड़ाई में पाकिस्तान के सहयोग और संकल्प पर नए सवाल खड़े हो सकते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पाकिस्तान की जेलों में बंद कुछ बड़े तालिबान नेताओं से मुलाकात की. जरदारी ने कथित रूप से उनकी रिहाई का रास्ता साफ करने और चरमपंथी गतिविधियों को मदद देने का वादा किया.
रिपोर्ट का दावा है कि पाकिस्तान की सत्ता तंत्र के सर्वोच्च स्तर तक में तालिबान को मदद देने पर सहमति हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान जबरदस्त ढंग से दोहरी चालें चल रहा है.
तालिबान कमांडरों, तालिबान के पूर्व वरिष्ठ मंत्रियों, पश्चिमी देशों के सुरक्षा अधिकारियों और अफगान सुरक्षा अधिकारियों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट को तैयार किया गया है. हालांकि पाकिस्तान ने इस रिपोर्ट का खंडन करते हुए इसे बचकाना करार दिया है और कहा है कि तालिबान से बात करना अफगान सरकार की जिम्मेदारी है. पाकिस्तान के मुताबिक यह रिपोर्ट उसके खिलाफ दुष्प्रचार का हिस्सा है.
मार्च 2009 में अमेरिका के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन एडमिरल माइक मुलन और अमेरिकी सेट्रंल कमांड के प्रमुख जनरल डेविड पैट्रियस ने कहा था कि आईएसआई के कुछ तत्व तालिबान और अल कायदा की मदद कर रहे हैं और ऐसी गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए.
इसके बावजूद पश्चिमी देशों के अधिकारी इस मुद्दे पर खुलकर कहने से बचते रहे हैं. उन्हें डर है कि इससे अफगानिस्तान में पाकिस्तान से मिल रहा सहयोग खटाई में पड़ सकता है. पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान को अमेरिका से अरबों डॉलर की वित्तीय और सैन्य मदद मिल चुकी है.
रिपोर्ट को तैयार करने वाले मैट वॉल्डमैन के मुताबिक अगर पाकिस्तान अपने रास्ते नहीं बदलता तो अंतरराष्ट्रीय सेना और अफगान सरकार के लिए चरमपंथियों पर काबू पाना बेहद मुश्किल साबित होगा. जितने भी तालिबान कमांडरों से इंटरव्यू कर यह रिपोर्ट तैयार हुई है उन सभी की ओर से संकेत मिलता है कि खुफिया एजेंसी आईएसआई का शूरा (तालिबान की सर्वोच्च नेतृत्व परिषद) में प्रतिनिधित्व है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएसआई की तालिबान से सांठगांठ होने के बारे में सबूत पेश करना अब समय बर्बाद करना है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: एन रंजन