तालिबान के रहते क्या अफगानिस्तान में चुनाव हो पाएगा
१७ सितम्बर २०१९राष्ट्रपति अशरफ गनी एक चुनावी रैली को संबोधित करने उत्तरी परवान प्रांत में पहुंचे थे. इसी दौरान एक मोटरसाइकिल सवार ने सभा स्थल के गेट से विस्फोटक भरी मोटर साइकिल टकरा दी. फिर जबर्दस्त धमाका हुआ. हमले की चपेट में आए लोगों में कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
इस हमले से कुछ ही घंटे पहले काबुल में अमेरिकी दूतावास के पास भी हमला हुआ हालांकि इस हमले में जानमाल के नुकसान की अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है. दोनों हमलों की जिम्मेदारी तालिबान ने ली है.
अफगानिस्तान में इसी महीने के आखिर में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और तालिबान इसके विरोध में है. तालिबान ने इन चुनावों को ध्वस्त करने की बात कही है. तालिबान ने धमकी दी है कि उसके लड़ाके चुनाव प्रचार के साथ ही पोलिंग बूथ को निशाना बनाएंगे.
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने मीडिया में एक बयान जारी कर इन दोनों हमलों की जिम्मेदारी ली है. मुजाहिद ने कहा है कि तालिबान के आत्मघाती लड़ाकों ने इन्हें अंजाम दिया है. मुजाहिद का कहना है कि परवान में हमलावरों का निशाना राष्ट्रपति के गार्ड और दूसरे सुरक्षाकर्मी थे. अभी यह जानकारी नहीं मिल सकी है कि राष्ट्रपति के सुरक्षा गार्डों में से किसी को कोई चोट आई है या नहीं. मुजाहिद का दावा है कि काबुल पर हमले का निशाना अफगान आर्मी बेस था.
पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एलान किया कि अमेरिकी और तालिबान के बीच जो शांति वार्ता कतर में कई महीनों से चल रही थी वह नाकाम हो गई है. इसके बाद अफगानिस्तान में चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया. अमेरिका की ओर से बातचीत कर रहे जलमाय खालिजाद ने कुछ दिन पहले कहा था कि करार हो चुका है और उस पर बस दस्तखत बाकी हैं. इसके बाद ज्यादातर उम्मीदवारों ने अपना प्रचार अभियान रोक दिया था. ट्रंप ने सितंबर की शुरुआत में ट्वीट कर कहा कि बातचीत बंद हो गई है.
तालिबान से बातचीत में राष्ट्रपति गनी अलग थलग रहे लेकिन बातचीत बंद होने पर वह तुरंत प्रचार में जुट गए और साथ ही मांग करने लगे कि राष्ट्रपति चुनाव होने चाहिए. खालिजाद और गनी के कुछ विरोधियों का कहना है कि जब तक तालिबान के साथ शांति पर करार नहीं हो जाता एक अंतरिम प्रशासन बना कर उसके हाथ में सत्ता सौंप देनी चाहिए.
बातचीत के बंद होने के बाद आशंका के अनुरुप अफगानिस्तान में हिंसा तेज हो गई है. तालिबान ने युद्ध विराम से मना कर दिया है और पूरे अफगानिस्तान में हमले तेज कर दिए हैं. इस बीच अमेरिका समर्थित अफगान सैनिकों ने भी तालिबान लड़ाकों के छिपने के ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है.
तालिबान ने गनी सरकार के प्रतिनिधियों से बातचीत के लिए मिलने से मना तो किया ही था इसके अलावा काबुल में पिछले दिनों उनके दो हमलों के कारण ट्रंप ने बातचीत बंद करने का एलान किया. ये हमले भी काबुल में हुए थे और इसमें नाटो के दो सैनिकों की जान गई जिसमें एक अमेरिका नागरिक था. सोमवार को भी एक अमेरिकी सैनिक की गोलीबारी में मौत हो गई. सोमवार को हुई मौत इस साल अब तक अमेरिका में जान गंवाने वाले सैनिकों की संख्या 17 पर पहुंच गई है. इसके अलावा तीन सैनिकों की मौत युद्ध के मैदान से बाहर भी हुई है. करीब 18 साल से चली आ रही जंग में अब तक 2,400 से ज्यादा अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई है.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स)
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