डॉयचे वेले हमारा है
२० सितम्बर २०१३आपको मालूम है आपका मेरा साथ सदा रहा है कभी कभार समय या आर्थिक आभाव के कारण पत्र, ईमेल नहीं भेज सका, पर रेडियो प्रसारण से तो मैं आपके साथ बिल्कुल जुडा रहा और मेरा क्लब आलमी रेडियो लिस्नर्स के नाम से 1992 से आपके यहां रजिस्ट्रर्ड है. देखते देखते दुनियां की तरक्की ने ऐसा मोड़ लिया कि सारी पुरानी तकनीकें बदल गई. पहले हमें लगा कि अब डीडब्ल्यू से बिछड़ना पडेगा, लेकिन नहीं, कुछ दिन तक तो फेसबुक पर थोडा अटपटा सा लगा, लेकिन अब आपके साथ फेसबुक, यूट्यूब और टीवी पर बहुत आनंद मिल रहा है. आज मुझे यह कहना है कि मंथन में दिया जाने वाला हर विषय बहुत ही रोचक होता है और कम समय में छोटे छोटे टॉपिक पर हमें बहुत सारी जानकारी मिलती है. मुझे पूरा यकीन है कि आने वाले दिनों में मंथन को पसन्द करने वालों की संख्या बहुत बढ़ेगी. मैं अपने श्रोता मित्रों, नेटजनों और टीवी देखने वालों तक मंथन की जानकारी बहुत सक्रियता से दे रहा हूं. आज मैं मंथन से जुड़ा एक सवाल देना चाहता हूं जो ओजोन परत की स्थिति के बारे में है. मैं यह जानना चाहता हूं 1991-1992 से अब तक ओजोन परत में किस तरह का बदलाव आया है.
मोहम्मद असलम,आलमी रेडियो लिस्नर्स क्लब, आजमगढ ,उत्तर प्रदेश
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डॉयचे वेले से मेरा रिश्त साल दो साल पुराना नहीं बल्कि बचपन से है. रेडियो पर डीडब्ल्यू हिन्दी का प्रसारण सुनने का वह सिलसिला आज भी आनंद की अनुभूति कराता है. रेडियो प्रसारण बन्द होने से काफी दुख हुआ था क्योंकि आवाज की दुनिया का वह रिश्ता इतना अटूट हो गया जिसके बिना रह पाना काफी मुश्किल प्रतीत हुआ. वक्त के साथ आज डॉयचे वेले और हम इंटरनेट में विकसित हो चुके हैं. एक लम्बा सफर तय करते हुये इंटरनेट पर डीडब्ल्यू की पेशकश इतनी लोकप्रिय हो गयी है जिसका अंदाजा डीडब्ल्यू हिन्दी के एक लाख फैंस से लगाया जा सकता है. डीडब्ल्यू के अपने चाहने वालों के प्रति गहरे समर्पण और स्नेह के चलते आज डीडब्ल्यू से हमारा रिश्ता गहरा और मजबूत होता जा रहा है जो हमेशा कायम रहेगा. डॉयचे वेले के उज्ज्वल भाविष्य की कामनाओं के साथ फेसबुक पर डीडब्ल्यू हिंदी के एक लाख फैंस होने की खुशी में सभी मित्रों एवं डॉयचे वेले परिवार को हार्दिक बधाई!
हम सबका यह नारा है, डॉयचे वेले हमारा है!
आबिद अली मंसूरी, देशप्रेमी रेडियो लिस्नर्स क्लब, बरेली, उत्तर प्रदेश
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सोमवार से शुक्रवार तक मैं आफिस में पहुंचने के बाद सबसे पहले हिंदी वेबसाइट की हेडलाइन पर नजर डालता हूं. फिर कार्यालय के कामकाज के बीच में महत्वपूर्ण विषयों को विस्तार से पढ़ता हूं. 'जर्मनी की अंधेरी नगरी' रिपोर्ट मुझे अच्छी लगी. प्रदूषण के कारण हम कोलकाता, मुंबई, दिल्ली जैसे शहरों में तारों का खूबसूरत नजारा देख नहीं पाते. गांव में तो दिखते हैं लेकिन मैं जब भारत के पर्वतीय राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर जैसे ऊंचाई वाले स्थानें पर ट्रैकिंग करने जाता हूं तब सितारों से भरा आसमान का सुंदर दृश्य देखकर चकित हो जाता हूं. कभी जर्मनी जाने का मौका मिल जाए तो जर्मनी का 'डार्क स्काई पार्क' देखना नहीं भूलूंगा. ऑडियो वीडियो पेशकाश 'कैसे चुने जाते हैं नोबेल विजेता' भी मुझे बहुत बहुत अच्छा लगा.
सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली
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मंथन में फ्रांस की मास्टर कुक क्रिसटीन फेर्बेअर, जिनको जैम की रानी भी कहा जाता है, के हाथों से बने जैम को बनते देख कर मुंह में पानी आ गया. ये लाइनें लिखते समय इस जैम को चखने का मन कर रहा है, लेकिन आपने तो खाली जैम को बनते दिखाया. मगर अब हम कुछ और ऐसी ही चीज़ खाकर मुंह में उस जैम का स्वाद भर लेते हैं. वैसे हमारे जैसे छोटे शहरों में तो ऐसे जैम नही मिलते, लेकिन कोशिश करूंगा कि कराची या इस्लामाबाद जैसे बड़े शहरों में रहने वाले अपने किसी मित्र से कह कर एक बोतल फ्रांस की जैम की रानी का जैम मंगवा लूं.
इस्राइल की राजधानी तेल अवीव की पुरानी बंदरगाह पर गत्ते की साइकिल के बारे भी मंथन में रिपोर्ट देख कर मज़ा आ गया. पहली बार इस बंदरगाह और इस्राइल के लोगों के इन पहलुओं के बारे में जानकारी मिली है, वरना तो इस्राइल का मतलब हमारे लिए फलिस्तीनियों पर हमलावर ताकत के सिवा और कुछ नहीं. यह तो मालूम नहीं कि इस्राइल में कितने लोग इस साइकिल को खरीदेंगे या इस्तेमाल करेंगे, लेकिन हमारे मुल्क में यह साइकिल चलाने वाले लोग बहुत कम मिलेंगे, क्योंकि जितना बोझ यहां पर लोग साइकिल पर डालते हैं, यह गत्ते की साइकिल उसका वजन नहीं उठा सकती. बहुत शुक्रिया डीडब्ल्यू और मंथन इस रोचक और बेहतरीन रिपोर्ट के लिए.
आजम अली सूमरो, ईगल इंटरनेशनल रेडियो लिस्नर्स कलब, खैरपुर मीरस, सिंध, पाकिस्तान
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मंथन मुझे बहुत ही अच्छा लगता है. मैंने अभी अभी इसे देखना शुरू किया है और यह मुझे सभी टीवी प्रोग्रामों से अच्छा लगा. मैंने अपने दोस्तों को भी यह प्रोग्राम देखने को कहा है. आशा है वे इसे जरूर देखेंगे.
खीरेंद्र पटेल
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मंथन हमारा पसंदीदा प्रोग्राम है. हर शनिवार को मंथन हम दोस्त साथ में बैठ कर देखते हैं . इसमें दिखाई गई रिपोर्ट्स को हम आपस में डिस्कस भी करते हैं और दूसरों को भी बताते हैं . क्या आप हमें कंप्यूटर में होने वाले वायरस के बारे में रिपोर्ट दिखा सकते हैं. हमारे ग्रुप को इससे काफी मदद मिलेगी.
नुएल ढकाल, पश्चिम बंगाल
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संकलनः विनोद चड्ढा
संपादनः एन रंजन