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समाज

डेनमार्क ने सीरियाई शरणार्थियों को देश वापस लौटने को कहा

१३ अप्रैल २०२१

डेनमार्क नहीं चाहता कि वहां भविष्य में नए शरणार्थी आएं. इसलिए अब सीरियाई शरणार्थियों से कहा जा रहा है कि वो सीरिया लौट जाएं क्योंकि सीरिया अब सुरक्षित है. स्थानीय समाज में घुल मिल रहे युवाओं को मुश्किल हो रही है.

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Dänemark Schülerin Aya Abo Daher
डेनमार्क की सरकार शरणार्थी अया अबो दाहेर को वापस सीरिया भेजना चाहती हैतस्वीर: Rahima Abdullah

अया अबो दाहेर ने डेनमार्क के शहर निबोर्ग के एक हाईस्कूल से हाल ही में स्कूली पढ़ाई पूरी की है और जून के अंत में अपने दोस्तों के साथ वो इस खुशी का उत्सव मनाने वाली थीं तभी उन्हें डेनमार्क के अधिकारियों की ओर से एक ऐसा ईमेल मिला जिसने उनकी खुशियों पर पानी फेर दिया. सीरियाई छात्रों और उनके मां-बाप को भेजे गए ईमेल में लिखा था कि उनके आवासीय परमिट का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा.

20 वर्षीया दाहेर कहती हैं, "मैं बहुत दुखी थी, मैंने खुद को इस कदर विदेशी समझा जैसे डेनमार्क की हर चीज मुझसे दूर कर दी गई है. मैं नीचे बैठ गई और जोर से चिल्लाने लगी. रात में, मुझे मेरी एक दोस्त ने मेरे घर छोड़ा क्योंकि मैं सो नहीं पा रही थी.” सीरिया के ज्यादातर शरणार्थियों को यही ईमेल मिला था जो कि दमिश्क के आस-पास के इलाकों के रहने वाले हैं.

‘युद्ध न तो खत्म हुआ है और न ही भुलाया गया है'

पिछली गर्मियों में, जब से डेनमार्क के अधिकारियों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क को सुरक्षित घोषित किया है, तब से उस इलाके के हजारों सीरियाई शरणार्थियों के आवासीय परमिट रद्द कर दिए गए हैं या यूं कहें कि उनका नवीनीकरण नहीं किया गया है. डेनिश रिफ्यूजी काउंसिल की महासचिव चार्लोट स्लेंटे कहती हैं, "हालांकि युद्ध न तो खत्म हुआ है और न ही इसे भुलाया गया है लेकिन डेनमार्क के अधिकारी यही मान रहे हैं कि दमिश्क में स्थितियां इतनी अच्छी हो गई हैं कि सीरियाई शरणार्थियों को वहां भेजा जा सकता है.”

डेनमार्क एकमात्र यूरोपीय देश है जो सीरियाई शरणार्थियों के आवासीय परमिट निरस्त कर रहा है. स्लेंटे कहती हैं कि यह एक "गैरजिम्मेदार” फैसला है और वापस लौटने वालों पर हमले और उत्पीड़न का खतरा रहेगा. वो कहती हैं, "वहां लड़ाई नहीं हो रही है, इस आधार पर दमिश्क वापस लौटने वाले शरणार्थियों के लिए एक सुरक्षित शहर नहीं बन जाता.”

Dänemark Premierministerin Mette Frederiksen
प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन अपने यहां जीरो शरणार्थी चाहती हैंतस्वीर: Philip Davali/Ritzau Scanpix/REUTERS

डेनमार्क और सीरिया सहयोग नहीं कर रहे हैं

डेनमार्क के इस रवैये के खिलाफ सिर्फ डीआरसी और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे मानवाधिकार संगठन ही नहीं हैं बल्कि वो वामपंथी पार्टियां भी इस कदम का विरोध कर रही हैं जो कि डेनमार्क की संसद में कभी-कभी प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन के नेतृत्व वाली सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी की अल्पमत सरकार का सहयोग करती हैं. सोशल लिबरल पार्टी यानी रेडिकेल वेंस्टर के प्रवक्ता क्रिस्टियान हेगार्ड कहते हैं, "अया अबो दाहेर जैसे छात्रों को निष्कासित करने का फैसला निर्दयी और विवेकहीन है. डेनमार्क कैसे मान सकता है कि सीरिया एक सुरक्षित देश है?” अपने फेसबुक पेज पर हेगार्ड लिखते हैं, "डेनमार्क ने सीरिया में अपना दूतावास इसीलिए बंद कर रखा है क्योंकि वहां स्थितियां ठीक और सुरक्षित नहीं हैं.”

वामपंथी पार्टियों का तर्क है कि चूंकि डेनमार्क सीरियाई शासक बशर अल असद की सरकार के साथ सहयोग नहीं कर रहा है इसलिए इस वक्त शरणार्थियों को जबरन निष्कासित करना ठीक नहीं है. फिलहाल, जिन सीरियाई लोगों के आवासीय परमिट खत्म हो गए हैं और जिन्होंने स्वेच्छा से देश छोड़ने से इनकार कर दिया है उन्हें डेनिश डिपोर्टेशन शिविरों में रखा जाता है.

‘उन्हें योगदान करने दें, काम करने दें और शिक्षा  लेने दें'

हेगार्ड कहते हैं कि सीरियाई शरणार्थी अपने देश में परिस्थिति बदलने के लिए सालों यहां बैठकर इंतजार कर सकते हैं. हेगार्ड सुझाव देते हैं कि उन शरणार्थियों से काम लिया जा सकता है, उनके योगदान का लाभ लिया जा सकता है और उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में मदद दी जानी जाहिए. इससे डेनमार्क को भी लंबे समय तक फायदा मिलेगा.

Dänemark Integrationsminister Mattias Tesfaye
समेकन मंत्री तेस्फाइ का कहना है कि कोई रियायत नहीं होगीतस्वीर: Mads Claus Rasmussen/Ritzau Scanpix/imago images

अया अबो दाहेर की एक सहपाठी ने डेनमार्क के समेकन मंत्री मतियास तेस्फाइ को एक खुला पत्र लिखा और मांग की कि एक ऐसी लड़की को निष्कासित न किया जाए जो धाराप्रवाह डेनिश भाषा बोल लेती है और यहां के समाज को कुछ देना चाहती है. लेकिन उसकी बात सुनी नहीं गई और तेस्फाइ ने डेनमार्क की मीडिया को बताया कि वो अपने उन अधिकारियों पर भरोसा करते हैं जिन्होंने स्थिति का आकलन किया है और वो सिर्फ इसलिए कोई संशोधन नहीं करेंगे कि कोई टेलीविजन पर आकर कुछ कह रहा है.

दाहेर के स्कूल के डायरेक्टर वेस्टरगार्ड स्टॉकहोम भी अपनी विद्यार्थी को लेकर काफी भावुक हैं. अया अबो दाहेर को वो एक "कर्मठ, ज्ञानपिपासु और स्पष्ट लक्ष्य” वाली लड़की बताते हैं. स्टॉकहोम कहते हैं कि सीरिया वापस लौटने पर उसकी सुरक्षा को खतरा है. वो कहते हैं कि इस लड़की के दो भाई एक साल पहले भागकर डेनमार्क आ गए थे क्योंकि वो असद की सेना में भर्ती होने ही वाले थे. उन्हें निष्कासन की धमकी नहीं दी जा रही है क्योंकि उन्हें विशेष संरक्षण मिला हुआ है.

अया अबो दाहेर कहती हैं, "निष्कासन हमें अपने परिवार से फिर दूर कर देगा जो कि बहुत मुश्किल से एक साथ मिल पाए थे. दमिश्क में वापस जाने पर हमारे पास कुछ भी नहीं रहेगा. अधिकारी मुझे उस जगह कैसे वापस भेज सकते हैं जिसे वो जानते हैं कि मेरे लिए खतरनाक है?”

डेनमार्क एक ‘दुखद उदाहरण' है

स्कूल के डायरेक्टर स्टॉकहोम कहते हैं, "भाइयों के भागने के बाद लोग अया से बार-बार पूछते थे कि वे कहां हैं. जब खाना बंटता था, अया और उसके मां-बाप से कहा जाता था कि उन्हें तब तक खाना नहीं मिलेगा जब तक कि उसके भाई लौटकर नहीं आ जाते.” यूरोप में डेनमार्क के अलावा किसी और देश ने सीरिया की इन परिस्थितियों में किसी शरणार्थी को वापस भेजने के बारे में फैसला नहीं किया है. स्टॉकहोम कहते हैं कि डेनमार्क वास्तव में एक ‘दुखद उदाहरण' पेश कर रहा है.

Dänemark Charlotte Slente
रिफ्यूजी परिषद की चार्लोट स्लेंटे ने सरकार को गैरजिम्मेवार बतायातस्वीर: Emil Helms/Ritzau Scanpix/picture alliance

दरअसल, शरणार्थियों को जल्दी से जल्दी वापस भेजने का फैसला साल 2019 में आए उस अप्रवासन कानून के तहत हो रहा है जिसे पिछली कंजर्वेटिव सरकार लेकर आई थी और अब सोशल डेमोक्रैट्स और दक्षिणपंथी भी संसद में उसी का अनुकरण कर रहे हैं. कानून में साफ कहा गया है कि आवासीय परमिट सिर्फ एक सीमित अवधि के लिए ही जारी किए गए हैं. इस नीति के तहत, जैसे ही परिस्थितियां अनुकूल होने लगेंगी, आवासीय परमिट रद्द कर दिए जाएंगे और शरणार्थियों को उनके देश वापस भेज दिया जाएगा.

शरणार्थियों को हतोत्साहित करना

मेटे फ्रेडरिक्सन वामपंथी झुकाव वाली महिला होने के बावजूद अप्रवासन और शरणार्थी मामलों में दक्षिणपंथी रुझान दिखाने लगती हैं. उनके पास भविष्य में शरणार्थियों को डेनमार्क आने से रोकने की भी एक दीर्घकालीन योजना है. डेनमार्क की सरकार ऐसे शरणार्थियों को वित्तीय मदद भी दे रही है जो स्वेच्छा से अपने देश वापस जा रहे हैं. हालांकि सरकार लगातार शरणार्थियों को अपने देश से बाहर करने की भी कोशिशें कर रही है और जो लोग डेनमार्क में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें भी हतोत्साहित कर रही है.

अया अबो दाहेर निष्कासन से डरी हुई हैं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि वो गर्मी में अपनी दोस्तों के साथ हाई स्कूल पूरा होने की खुशी मना सकेंगी. अया ने दंत चिकित्सक बनने का ख्वाब देख रखा है और अपने निष्कासन के नोटिस के खिलाफ एक याचिका भी डाल रखी है. उनके स्कूल के डायरेक्टर स्टॉकहोम कहते हैं कि इन सब में कुछ महीने लग जाएंगे और उम्मीद है कि जून महीने में अया अपनी ग्रेजुएशन की खुशी अपने दोस्तों के साथ मना सकेगी.

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