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समाज

डूबते बच्चे और अंधविश्वासी समाज

ओंकार सिंह जनौटी
२ जनवरी २०१७

बांग्लादेश में हर साल हजारों बच्चे डूबकर मर जाते हैं. ज्यादातर मौतें घर के बगल में होती हैं. लेकिन लोगों को लगता है कि ये सब "ऊपर वाले की इच्छा" से हो रहा है.

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Rangamati  Bangladesch  Kaptai See
तस्वीर: DW/M.Rahman

2005 से अब तक बांग्लादेश में हर साल करीब 18,000 बच्चे नदी, तालाब और पोखरों में डूबकर मरे. इन सभी की उम्र 18 साल से कम थी. सेंटर फॉर इंजरी प्रिवेंशन एंड रिसर्च ऑफ बांग्लादेश (CIPRB) के मुताबिक इन जिंदगियों को बचाया जा सकता है लेकिन अंधविश्वास आड़े आ रहा है. लोगों को लगता है कि बच्चे "ऊपर वाले की इच्छा" से डूब रहे हैं.

2016 में ऑस्ट्रेलिया के कुछ संस्थानों के सहयोग से एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. भाषा नाम के इस प्रोजेक्ट के तहत 4,00,000 घरों का सर्वे किया जाएगा. इस दौरान लोगों को डूबने से होने वाली मौत के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी. उन्हें तस्वीरें भी दिखाई जाएंगी. यह पता लगाया जाएगा कि सबसे ज्यादा समस्या कहां है. दक्षिण मध्य बांग्लादेश की किर्ताखोला नदी को सबसे खतरनाक माना गया है. हर साल इस नदी में एक से चार साल के कई बच्चे डूब जाते हैं.

बांग्लादेश एशिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला डेल्टा है. देश की 80 फीसदी जमीन डूब क्षेत्र में आती है. बरसात में हर कहीं पानी ही पानी नजर आता है. नदियां उफान पर होती हैं, तालाब, गड्ढे और कुएं पूरी तरह लबालब हो जाते हैं.

चावल के लिये मशहूर बड़ीसाल गांव में एक दूसरे से सटे कई गहरे तालाब हैं. आम तौर पर लोग इन तालाबों से मछली पकड़ते हैं. वहां नहाते धोते और कपड़े धोते हैं. लेकिन अगर इस दौरान कोई डूबने लगे तो उसे बचाने के इंतजाम नहीं के बराबर हैं. एकाध तालाबों के पास बांस का लट्ठा रखा रहता है, बस.

आंकड़ों के मुताबिक डूबकर मरने वाले बच्चों में सबसे ज्यादा संख्या तालाब में मारे गए बच्चों की है. इनमें से 80 फीसदी तो घर से 20 मीटर की दूरी पर बने तालाब में डूबे.

प्रोजेक्ट में यह बात भी सामने आई कि गांवों में बच्चों की मौत को अल्लाह का ख्वाहिश माना जाता है. मानव विकासशास्त्री फजलुल चौधरी कहते हैं, "ऐसी धारणा है कि डूबना प्राकृतिक चीज है या ईश्वर की मर्जी है और इसे टाला नहीं जा सकता है. हर समुदाय में अलग तरह के अंधविश्वास हैं. कुछ तालाब में शैतान की बात करते हैं तो कुछ कहते हैं तालाब में एक सुंदर फूल उभर आया जो बच्चों को गहराई में ले गया. बाकियों को लगता है कि वहां कोई दिव्य शक्ति है जो खास समय में बच्चों को ललचाती है."

विशेषज्ञों के मुताबिक अंधविश्वास के बजाए अगर लोग बच्चों को अच्छे से तैराकी सिखायें और तालाबों के आस पास बचाव के इंतजाम करें तो हजारों जाने बचाई जा सकती हैं.