ट्रंप का सामना करने को एकजुट हुए अमेरिकी वैज्ञानिक
२० फ़रवरी २०१७अमेरिकी शहर बॉस्टन में इकट्ठा हुए 'अमेरिकन एसोसिएशन फॉर दि एडवांसमेंट ऑफ साइंस' (एएएएस) के सदस्य रिसर्चरों से विरोध जताने और सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं. सम्मेलन के जिस पैनल डिस्कशन का विषय था "डिफेंडिंग साइंस एंड साइंटिफिक इंटेग्रिटी इन दि एज ऑफ ट्रंप", उस हॉल में पैर रखने तक की जगह नहीं बची तो जल्दी जल्दी एक और कमरे का इंतजाम करना पड़ा. एएएएस वही संगठन है जो विश्व भर में विज्ञान के क्षेत्र की एक प्रतिष्ठित पत्रिका 'साइंस' का प्रकाशन करता है.
इस बार के वार्षिक सम्मेलन में हर बार की तरह रिसर्च पेपरों को लेकर चर्चाएं तो हुईं ही, लेकिन पूरे कार्यक्रम में ट्रंप का साया भी दिखा. एक जनवरी 2017 से एएएएस ने 9,000 नए सदस्य बनाए हैं. यह एक नया रिकॉर्ड है. संगठन का कहना है कि उनका वैज्ञानिक समुदाय गहरी चिंता में है. जिस तरह राष्ट्रपति ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन जैसी प्रक्रिया को सिरे से खारिज कर उसे झूठ करार दिया है, उनके शासन काल में विज्ञान की हालत खराब होने वाली है. वैज्ञानिकों को डर है कि अगर आगे भी ट्रंप वैज्ञानिक तथ्यों को ऐसे ही सिरे से नकारते रहे तो इससे कितना नुकसान हो सकता है.
इसके अलावा सात मुस्लिम बहुल देशों से लोगों को अमेरिका यात्रा करने से रोकने की ट्रंप की कोशिशों को लेकर भी वैज्ञानिक समुदाय परेशान है. इससे अमेरिका में रिसर्च की तस्वीर पर बुरा असर पड़ सकता है. कई रिसर्चरों को अपने काम पर कई तरह की पाबंदियां लगने और उसके लिए फंडिंग जुटाने में भी मुश्किल पैदा आने की चिंता सता रही है. एएएएस की अध्यक्ष बारबरा शाल ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि अभी तक ही ट्रंप के कई निर्णय वैज्ञानिकों को "गहरी परेशानी" में डाल चुके हैं. आप्रवासन और वीजा को लेकर कई अध्यादेश देश के वैज्ञानिक माहौल को खराब कर वैश्विक अर्थव्यवस्था और नागरिकों की सेहत को नुकसान पहुंचाएंगे.
सम्मेलन में 60 से अधिक देशों से 10,000 से अधिक वैज्ञानिक इकट्ठा हुए हैं. यह आयोजन दुनिया में वैज्ञानिकों का सबसे बड़ा जमावड़ा है. ट्रंप को लेकर इन्हीं चिंताओं के कारण वैज्ञानिकों को प्रयोगशालाओं से विरोध प्रदर्शनों तक का सफर तय करना पड़ा है. वैज्ञानिक समुदाय वैज्ञानिक तथ्यों की मदद से सच को सामने लाने और ट्रंप शासन काल में पेश होने वाले झूठे अवैज्ञानिक दावों का जवाब देने के लिए वैज्ञानिक समुदाय से एकजुट होने की अपील कर रहा है. नवंबर 2016 में डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने के दिन से देश में बहुत कुछ बदला रहा है. अब विज्ञान और वैज्ञानिक भी राजनीति की जद में आते दिख रहे हैं.
आरपी/एके (डीपीए)