टीटो का गालेब फिर जिंदा होगा
कभी भूराजनैतिक करारों और बीसवीं सदी के सबसे ग्लैमरस सितारों का स्टेज रहे युगोस्लाव नेता जोसिप ब्रोज टीटो के लग्जरी यॉट को म्यूजियम के रूप में नई जिंदगी मिल रही है.
युगोस्लाव आइकन
अपने स्वर्णिम दिनों में गालेब युगोस्लाविया के लिए एक आइकन जैसा था. देश के सबसे करिश्माई कम्युनिस्ट नेता अपने कामकाजी दौरों के लिए इसी यॉट का इस्तेमाल करते और अभिनेत्री एलिजाबेथ टेलर से लेकर सोफिया लॉरेन के अलावा दर्जनों राष्ट्रप्रमुख इस यॉट पर उनकी मेहमानवाजी का लुत्फ उठाते थे.
टीटो के बाद दुर्गति
1980 में टीटो की मौत के बाद उनका यॉट भी दुर्गति का शिकार हुआ और युगोस्लाव फेडरेशन के खत्म होने के साथ ही शुरू हुई खूंरेजी जंग और इसके साथ ही उसे सिसकते हुए मरने के लिए छोड़ दिया गया.
रिजेका ने संभाली विरासत
क्रोएशिया में उत्तर के तटवर्ती शहर रिजेका ने करीब एक दशक पहले इसे खरीदा और अब इसकी खूबियों के साथ इसे 2020 तक यूरोपीय कैपिटल ऑफ कल्चर का सितारा बनाने की तैयारी है.
टीटो का विवाद
क्रोएशिया में टीटो का नाम खासा विवादित है और इस प्रोजेक्ट के लिए रिजेका के मेयर की आलोचना भी हो रही है. पिछले दिनों एक चौराहे पर लगे टीटो के नाम को उखाड़ा भी गया. हालांकि कई लोग मानते हैं कि टीटो ने युगोस्लाविया का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाया और नाजियों से लड़ने में भी बड़ी भूमिका निभाई.
इटली से रिजेका तक
गालेब को 1938 में इटली के गेनोआ शहर में बनाया गया तब इसे रैम्ब 3 कहा जाता था. दूसरे विश्वयुद्ध में ब्रिटिश तारपीडो के हमले में यह क्षतिग्रस्त हो गया. बाद में जर्मन सेना ने इसकी मरम्मत कराई. 1944 में अलॉयड सेना की बमाबारी में यह रिजेका में डूब गया. 117 मीटर लंबे बोट को युद्ध के बाद समंदर से निकाल कर टीटो का आधिकारिक यॉट बनाया गया.
शिप ऑफ पीस
शिप ऑफ पीस के नाम से विख्यात इस यॉट पर 1953 में सवार हो कर टीटो जब ब्रिटिश नेता चर्चिल से मिलने थेम्स नदी तक जा पहुंचे तो यह दुनिया की नजर में आया. यह किसी साम्यवादी राष्ट्रप्रमुख की पहली ब्रिटेन यात्रा थी.
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भी इस यॉट ने प्रमुख भूमिका निभाई. टीटो और भारत, इंडोनेशिया, घाना तथा मिस्र के नेताओं ने शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के दुनिया पर दबदबे के खिलाफ गुटनिरपेक्ष आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की थी.
टीटो नहीं युगोस्लविया
यॉट को म्युजियम बनाने का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि यह टीटो को महिमामंडित करने की नहीं बल्कि उस दौर के इतिहास में युगोस्लाविया और क्रोएशिया के बारे में जानकारी देने की कोशिश है.
54 लाख यूरो का खर्च
हालांकि यॉट में टीटो और उनकी पत्नी जोवांका के केबिन अच्छी स्थिति में हैं. नगर प्रशासन इस पर 54 लाख यूरोप खर्च करने जा रहा है. इतने खर्च के बाद यह तैरता म्यूजियम बन जाएगा जिसके कुछ हिस्से में होटल या रेस्टोरेंट भी होगा.
क्रोएशिया की सांस्कृतिक विरासत
रिजेका कोर्ट ने गालेब को उसके पिछले मालिक के कर्ज नहीं चुकाने पर जब्त कर लिया था जहां से नगर प्रशासन ने नीलामी में इसे खरीद कर क्रोएशिया की सांस्कृतिक विरासत घोषित कर दिया है.
बदहाल स्थिति
आज यह जहाज जिस स्थिति में है उसे देख कर यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि कभी इस पर राष्ट्र प्रमुखों, शाही परिवार के सदस्यों और कुलीन लोगों की चहल पहल हुआ करती थी. मध्य सदी के जमाने की आधुनिक कुर्सियां, मुख्य सैलून में बिखरी पड़ी हैं, पतले कॉरिडोर में टपकता पानी एक बाल्टी में जमा हो रहा है और छत देख कर लगता है कि अब गिरी कि तब गिरी.
सैलानियों से संवरेगा शहर!
गालेब की तरह ही क्रोएशिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर भी कभी अच्छी स्थिति में था. कभी एक व्यस्त औद्योगिक पोर्ट रहे रिजेका की अर्थव्यवस्था फिलहाल संघर्ष कर रही है. सरकार इस समय सांस्कृतिक आकर्षणों और पर्यटन के जरिए यहां की स्थिति सुधारने की कोशिश में है.