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जी-20 के केंद्र में आया रूस

१४ नवम्बर २०१४

ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले सम्मेलन के मुद्दे पीछे छूट रहे हैं और पश्चिमी देशों के साथ रूस का शोडाउन केंद्र में आता जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया सरकार ने रूस द्वारा जासूसी की भी चिंता जताई है.

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तस्वीर: Reuters/L. Koch

सम्मेलन के ठीक पहले नाटो और यूक्रेन ने रूस पर अलगाववादियों की मदद के लिए सैनिक और हथियार भेजने के आरोप लगाए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने स्थिति बिगड़ने की चिंता जताई है तो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने और प्रतिबंधों की धमकी दी है. ब्रिसबेन के लिए रवाना होने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्वीकार किया है कि प्रतिबंधों से रूस को नुकसान हो रहा है लेकिन साथ ही कहा कि इससे विश्व अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हो रहा है.

अहम हुआ सुरक्षा का मुद्दा

ऑस्ट्रेलिया में हो रहे जी-20 सम्मेलन का लक्ष्य वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को तेज करना, ग्लोबल बैंकिग सिस्टम को चुस्त बनाना और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए टैक्स बचाने के दरवाजे बंद करना है. लेकिन ज्यादातर आर्थिक मुद्दों पर सहमति हो चुकी है, जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका और चीन के बीच सहमति हो चुकी है और व्यापारिक समझौते पर अमेरिका और भारत की सहमति ने विश्व व्यापार संगठन के समझौते का रास्ता खोल दिया है. इन सहमतियों के कारण सुरक्षा के मुद्दे अब सम्मेलन के केंद्र में हैं.

ऑस्ट्रेलिया में रूस समर्थक विद्रोहियों द्वारा मलेशिया एयरलाइंस के यात्री विमान को मार गिराए जाने के आरोपों के कारण पुतिन को सम्मेलन से बाहर रखने की भी मांग हो रही थी, लेकिन आम राय इसके खिलाफ थी. ऑस्ट्रेलिया के अंतरराष्ट्रीय समुद्र में रूसी युद्धपोतों की उपस्थिति पर भी हंगामा हो रहा है. मीडिया रिपोर्टों में रूस की जासूसी की आशंका जताई जा रही है तो ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने कहा है कि रूसी युद्धपोतों का इतने दक्षिण में आना असामान्य है लेकिन असाधारण नहीं है.

G 20 Gipfel in Brisbane 14.11.2014 B 20 Treffen
तस्वीर: Reuters/J. Reed

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी युद्धपोतों से खतरे की आशंका को ज्यादा महत्व नहीं दिया है लेकिन पुतिन की आलोचना की है. उन्होंने कहा, "मुझे इस बात पर चिंता है कि यूक्रेन की क्षेत्रीय अक्षुण्णता का हनन हो रहा है." चांसलर मैर्केल ब्रिसबेन में रूसी राष्ट्रपति के साथ बात करेंगी. पुतिन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि यूक्रेन विवाद का असर मैर्केल के साथ उनके रिश्तों पर पड़ा है. उन्होंने कहा, "हम अपने देशों के हितों से संचालित होते हैं, सहानुभूति या दुर्भावना से नहीं. हर सरकार की तरह वे भी हितों से संचालित होती है. इसलिए मैं अपने संबंधों में कोई परिवर्तन नहीं देखता."

आर्थिक विकास पर जोर

सम्मेलन के मेजबान के रूप में ऑस्ट्रेलिया का जोर आर्थिक विकास के लिए माहौल तैयार करने पर है. प्रधानमंत्री टोनी एबट ने कहा, "इस जी-20 का फोकस विकास और रोजगार पर है." कैनबरा 2018 तक 2 प्रतिशत के विकास दर चाहता है ताकि लाखों रोजगार बन सकें. औद्योगिक देशों के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी के प्रमुख के अनुसार यह लक्ष्य सही राह पर है. लेकिन गूगल, एप्पल और अमेजोन जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का टैक्स बचाना पस्चिमी देशों के राजनीतिज्ञों का सिरदर्द बन गया है.

ओईसीडी ने ऐसे कदमों का प्रस्ताव दिया है जो इन कंपनियों पर टैक्स बचाने के लिए मुनाफे को कम टैक्स वाले देश में ट्रांसफर करने पर रोक लगा देंगे. पश्चिमी देशों की चिंता यह है कि उनके यहां दर्ज कंपनियां टैक्स बचाने के लिए कम विकसित देशों का इस्तेमाल न करें, तो विकासशील देशों की चिंता यह है कि धनी देशों में जमा उनके देशों का काला धन वापस आए. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन में इस मुद्दे पर वैश्विक सहयोग बढ़ाने पर जोर देंगे.

APEC Gipfel Putin und Obama 11.11.2014 Peking
तस्वीर: Reuters//Press service of the president of the Russian Federation/RIA Novosti

उधर सम्मेलन से पहले नागरिक संगठन सी 20 ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं से मांग की है कि वे विश्व अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के चक्कर में सामाजिक न्याय के मुद्दे को नजरअंदाज न करें. सी20 के प्रमुख ऑस्ट्रेलिया के टिम कोस्टेलो ने कहा, "अर्थव्यवस्था में 2018 तक 2 प्रतिशत की वृद्धि के प्रयासों का लाभ जी-20 देशों के गरीब घरों तक भी पहुंचना चाहिए." उन्होंने चेतावनी दी, "यदि फायदा सिर्फ चोटी की कमाई करने वाले पांच फीसदी तक पहुंचेगा तो यह असली विकास नहीं होगा, ये असमानता को पुख्ता करेगा."

और इस विकास में भ्रष्टाचार की अहम भूमिका है. सरकारों को भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में भी कदम उठाने होंगे. आर्थिक गतिविधियों में पारदर्शिता की कमी अवैध वित्तीय लेनदेन, टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित करते हैं. ब्रिसबेन में एक कार्यकारी दल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार करचोरी से विकासशील देशों को हर साल 1,000 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है. भ्रष्टाचार से होने वाला नुकसान वैश्विक आर्थिक क्षमता का 5 फीसदी है. सार्वजनिक टेंडर का 20 से 25 फीसदी भ्रष्ट जेबों में चला जाता है. भ्रष्टाचार, कर चोरी और ब्लैकमनी के सिर्फ 1 फीसदी मामले पता किए जाते हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि बैंक डाटा को सार्वजनिक करने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में हर साल 13,000 अरब डॉलर की अतिरिक्त रकम आएगी.